Sri Suktam lyrics PDF Sanskrit Download | श्री सूक्तम् संस्कृत पीडीऍफ़ डाउनलोड

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Sri suktam pdf Sanskrit file download from the given download button in the Sanskrit language. You can direct download and read Sri Suktam lyrics in the Sanskrit language from our website. The direct download link is given at the end of this post.

Sri suktam pdf संस्कृत भाषा में दिए गए डाउनलोड बटन से संस्कृत फ़ाइल डाउनलोड करें। आप हमारी वेबसाइट से संस्कृत भाषा में श्री सूक्तम के गीत सीधे डाउनलोड कर पढ़ सकते हैं। अस्य पोस्ट् इत्यस्य अन्ते प्रत्यक्षं डाउनलोड् लिङ्क् दत्तम् अस्ति।

Details of the Sri Suktam pdf Sanskrit File

PDF NAMESri suktam pdf Sanskrit
SIZE9
TOTAL PAGE210 KB
LANGUAGESanskrit
SOURCEhttps://pdfhind.com
CATEGORYDharmik PDF
DOWNLOAD LINKAvailable

Summary of Sri Suktam PDF Sanskrit

Dear Readers, today we have to provide you with the pdf file of Sri Suktam in the Sanskrit language. This is the Sri suktam 16 mantra pdf for download. The Suktam described the different forms of Shri Laxmi Devi.

Reading it or listening to it regularly fills it with wealth Because it describes the 16 forms of Goddess Lakshmi and it is recited to celebrate Lakshmi. This Sri Suktam is taken from the Rigveda It is considered very effective for those who want the abode of Lakshmi in their house.

प्रिय पाठकगण, अद्य अस्माभिः भवद्भ्यः श्रीसूक्तम् इत्यस्य pdf सञ्चिका संस्कृतभाषायां प्रदातव्या। यह श्री सूक्तम् 16 मंत्र pdf डाउनलोड करने के लिए है। सूक्तम् में श्री लक्ष्मी देवी के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया। इति

नियतं पठित्वा वा श्रवणेन वा धनेन पूरयति यतो हि तस्मिन् देवी लक्ष्मीः १६ रूपवर्णनं भवति तथा च लक्ष्मी-उत्सवार्थं पठ्यते । यह श्री सूक्तम् ऋग्वेद से लिया गया है यह अपने घर में लक्ष्मी का धाम चाहते लोगों के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है।

Sri Suktam Lyrics in Sanskrit | श्री सूक्तम् पाठ संस्कृत 16 मंत्र अर्थ सहित

1ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।

अर्थ:➠ हे जातवेदा (सर्वज्ञ) अग्निदेव! आप सुवर्ण के समान रंगवाली, किंचित् हरितवर्णविशिष्टा, सोने और चाँदी के हार पहननेवाली, चन्द्रवत् प्रसन्नकान्ति, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी का मेरे लिये आह्वान करें।

2तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।।

अर्थ:➠ हे अग्ने! उन लक्ष्मीदेवी का, जिनका कभी विनाश नहीं होता तथा जिनके आगमन से मैं स्वर्ण, गौ, घोड़े तथा पुत्रादि प्राप्त करूँगा, मेरे लिये आह्वान करें।

3अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।

अर्थ:➠ जिनके आगे घोड़े और रथ के मध्य में वे स्वयं विराजमान रहती हैं। जो हस्तिनाद सुनकर प्रमुदित (प्रसन्न) होती हैं, उन्हीं श्रीदेवी का मैं आह्वान करता हूँ। लक्ष्मीदेवी मुझे प्राप्त हों

4कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

अर्थ:➠ जो साक्षात् ब्रह्मरूपा, मन्द-मन्द मुस्कुरानेवाली, सोने के आवरण से आवृत्त, दयार्द्र, तेजोमयी, पूर्णकामा, भक्तनुग्रहकारिणी, कमल के आसन पर विराजमान तथा पद्मवर्णा हैं, उन लक्ष्मीदेवी का मैं यहाँ आह्वान करता हूँ।

5चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।

अर्थ:➠ मैं चन्द्र के समान शुभ्र कान्तिवाली, सुन्दर द्युतिशालिनी, यश से दीप्तिमती, स्वर्गलोक में देवगणों द्वारा पूजिता, उदारशीला, पद्महस्ता लक्ष्मीदेवी की मैं शरण ग्रहण करता हूँ। मेरा दारिद्र्य दूर हो जाये। मैं आपको शरण्य के रूप में वरण करता हूँ।

6आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।

अर्थ:➠ सूर्य के समान प्रकाशस्वरूपे! आपके ही तप से वृक्षों में श्रेष्ठ मंगलमय बिल्ववृक्ष उत्पन्न हुआ। उसके फल आपके अनुग्रह से हमारे बाहरी और भीतरी दारिद्र्य को दूर करें।

7उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।

अर्थ:➠ हे देवि! देवसखा कुबेर और उनके मित्र मणिभद्र तथा दक्ष-प्रजापति की कन्या कीर्ति मुझे प्राप्त हों अर्थात् मुझे धन और यश की प्राप्ति हो। मैं इस राष्ट्र (देश) में उत्पन्न हुआ हूँ, मुझे कीर्ति और ऋद्धि प्रदान करें।

8➠ क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।

अर्थ:➠ लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी (दरिद्रता की अधिष्ठात्री देवी) का, जो क्षुधा और पिपासा से मलिन-क्षीणकाया रहती है, उसका नाश चाहता हूँ। हे देवि! मेरे घर से हर प्रकार के दारिद्र्य और अमंगल को दूर करो।

9गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

अर्थ:➠ जिनका प्रवेशद्वार सुगन्धित है, जो दुराधर्षा (कठिनता से प्राप्त हो) तथा नित्यपुष्टा हैं, जो गोमय के बीच निवास करती हैं, सब भूतों की स्वामिनी उन लक्ष्मीदेवी का मैं आह्वान करता हूँ।

10मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।

अर्थ:➠ मन की कामना, संकल्प-सिद्धि एवं वाणी की सत्यता मुझे प्राप्त हो। गौ आदि पशुओं एवं विभिन्न अन्नों भोग्य पदार्थों के रूप में तथा यश के रूप में श्रीदेवी हमारे यहाँ आगमन करें।

11कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।

अर्थ:➠ लक्ष्मी के पुत्र कर्दम की हम सन्तान हैं। कर्दम ऋषि! आप हमारे यहाँ उत्पन्न हों तथा पद्मों की माला धारण करनेवाली माता लक्ष्मीदेवी को हमारे कुल में स्थापित करें।

12आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।

अर्थ:➠ जल स्निग्ध पदार्थों की सृष्टि करें। लक्ष्मीपुत्र चिक्लीत! आप भी मेरे घर में वास करें और माता लक्ष्मी का मेरे कुल में निवास करायें।

13आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।

अर्थ:➠ हे अग्ने! आर्द्रस्वभावा, कमलहस्ता, पुष्टिरूपा, पीतवर्णा, पद्मों की माला धारण करनेवाली, चन्द्रमा के समान शुभ्र कान्ति से युक्त, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी का मेरे यहाँ आह्वान करें।

14आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।

हे अग्ने! जो दुष्टों का निग्रह करनेवाली होने पर भी कोमल स्वभाव की हैं, जो मंगलदायिनी, अवलम्बन प्रदान करनेवाली यष्टिरूपा, सुन्दर वर्णवाली, सुवर्णमालाधारिणी, सूर्यस्वरूपा तथा हिरण्यमयी हैं, उन लक्ष्मीदेवी का मेरे यहाँ आह्वान करें।

15तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।

अर्थ:➠ हे अग्ने! कभी नष्ट न होनेवाली, उन लक्ष्मीदेवी का मेरे यहाँ आह्वान करें, जिनके आगमन से बहुत-सा धन, गौएँ, दासियाँ, अश्व और पुत्रादि हमें प्राप्त हों।

16य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत् ।।

अर्थ:➠ जिसे लक्ष्मी की कामना हो, वह प्रतिदिन पवित्र और संयमशील होकर अग्नि में घी की आहुतियाँ दे तथा इन पन्द्रह ऋचाओंवाले श्रीसूक्त का निरन्तर पाठ करे।

।। इति समाप्ति ।।

Sri Suktam lyrics in English

Om, Hiranya varnam harinim Suvarna rajatasrajam
Chandraam hiranmayim Lakshmim jatavedo ma avaha

Tamaavaha jatavedo Lakshmimananpagaminim Yasyaam
hiranyam vindeyam Gamasvam purushanaham

Ashwapurvam Rathamadhyam Hastinada Prabodinim
Sriyam Devimupahvaye Shrirmadevirjushatam

Kamsosmitam Hiranya Prakaramardram Jvalantim
truptam tarpayantim Padmestitam padmavarnam
Tamihopahvaye sriyam

Chandramprabhasam yashasajvalantim Sriyamloke
devajustamudaram Tam Padminimim Saranamaham
Prapadye Alakshmirme Nashyatam twam vrune

Aadityavarne Tapasodhijato Vanaspatistava
Vrukshothabilvaha Tasya phalani Tapasanudantu
Mayantarayascha Bahya Alakshmihi

Upaitumam Devasakhaha Kirtishcha Maninaa Saha
Praddurbhuto smi rastresmin Kirthimrudhim dadatume

Kshutpipasamalam JyesthaAm Alakshmim
nashayamyaham Abhutimasamruddhim cha Sarvam
Nirnuda me grihat

Gandhadvaram duradharsham Nitya Pushtam Karishinim
Eshvarim sarvabhutanam Tamihopahvaye Sriyam

Manasaha-Kamamakutim Vachasatya mashimahi
Pashunam Rupamanasya mayi Srishrayatam yashaha

Kardamena Prajabhuta mayi Sambhava Kardhama
Shriyam Vasayame Kule Mataram Padma malinim

Aapha srujantu Snigdhani Chiklita Vasa Me Gruhe Nicha
devim Mataram Sriyam Vasay me kule
Ardram pushkarinim Pushtim Pingalam Padmamalinim
Chandram hiranmayim Lakshmim Jatavedo Ma avaha

Ardram Yah karinim yastim Suvarnam hemamalinim
Suryam Hiranmayim Lakshmim Jatavedo Ma avaha

Tama avaha Jatavedo Lakshmimanapagaminim Yasyam
Hiranyam Prabhutam gavo Dasyoshvam Vindeyam
Purushanaha

Om Mahadevyaicha vidmahe Vishnu Pathnyaicha
dhimahi Tanno Lakshmih prachodayatu Om Shanti
Shanti Shantihi

How to recite Sri Suktam Path in Sanskrit

  • Take a bath early in the morning on Friday and install the idol of Mata Lakshmi on a red cloth.
  • Now offer kheer to the Mata Lakshmi by taking puja materials like red flowers, sandalwood, gulal, etc.
  • Now recite Shri Suktam and perform the aarti of Mata Lakshmi.
  • Recite Shri Suktam every Friday
  • While reciting Shri Suktam, meditate on Mata Lakshmi.
  • In the end, complete the Shri Suktam by performing the aarti of Mata Lakshmi.

Click on the link below to download the Sri Suktam pdf Sanskrit file. This is the pdf file of Sri Suktam 16 mantra pdf.

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