सावन सोमवार व्रत कथा इन हिंदी पीडीऍफ़ डाउनलोड करे यहाँ से | Sawan Somvar Vrat Katha PDF Direct download available at the bottom of this post | You can easily Download somvar vrat katha pdf in hindi.
नमस्कार दोस्तों आज हम आप को भगवान शिव जी के सावन के सोमवार व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha) का पीडीऍफ़ फाइल ले कर आये है आप यहाँ से पीडीऍफ़ फाइल को डाउनलोड कर सकते है और साथ ही इस पोस्ट को यहाँ से पढ़ सकते है |
भगवान शिव जी का सावन में व्रत करने का विशेष ही महत्त्व रहता है महान ऋषि-मुनियों और पंडितो ने कहा है की जो भगत सावन में पूरी विधि विधान से सावन के सोमवार का व्रत करता है उस को भिले बाबा जी का आशीर्वाद मिलता है |
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इस साल 2022 में सावन का महिना 14 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा तथा सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को, दूसरा सोमवार 25 जुलाई को, तीसरा सोमवार 1 अगस्त को और चौथा और लास्ट सावन का सोमवार 8 अगस्त का है | वैसे तो पूरा सावन का महिना बाबा भोले नाथ जी को ही समर्पित है लेकिन सावन के सोमवार का और भी अधिक महत्त्व है क्योकि सोमवार का दिन शिव जी को समर्पित है और सावन का महीना भी | तो इसी लिए सावन के सोमवार का और भी अधिक महत्व माना गया है |

सावन/श्रावण सोमवार व्रत कथा पीडीऍफ़ फाइल की जानकारी | Sawan Somvar Vrat Katha pdf file Details
Name of the PDF File | Sawan Somvar Vrat Katha |
PDF File Size | 2.7 MB |
Categories | Religious |
Beneficiary | For All People |
Source | PDFHIND.COM |
Mode | Online/Offline |
Uploaded on | 02-03-2022 |
PDF Language | HINDI |
दोस्तों आप को बता दे की हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से सावन का महिना पाचवा महिना है | इस समय भोले बाबा जी योगासन की स्थति में रहते है जिस से शिव और भगत के मध्य अच्छा तालमेल रहता है | दोस्तों अगर आप सावन के सोमवार का व्रत करते है तो ये बहुत ही अच्छा है लेकिन कोई कारण वंस आप व्रत नहीं कर पाते है तो भी आप को सावन के सोमवार के व्रत की कहानी सुनानी या पढ़नी चाहिए चाहिए |
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सावन सोमवार व्रत कथा विधि | Sawan Somvar Vrat katha Vidhi
दोस्तों आप को सोमवार का व्रत करने से पहले एक बार व्रत करने की पूरी विधि-विधान के नियम पढ़ लेने चाहिए | ताकि आप से कोई भी गलती न हो भगतो कहा जाता है की कोई भी व्रत तभी करना चाहिए जब आप वो अच्छे ढंग से कर सकते है | अगर आप सही ढंग से करते है तो आप को अच्छा ही परिणाम मिलता है भगवान अपने भगतो के लिए हमेशा से ही दयालुता का भाव रखते है | जो भगत बाबा जी को सच्चे मन से याद करता है उस को भगवान का आशीर्वाद हमेशा से ही मिलता रहा है |
हमने सोमवार के व्रत करने के कुछ नियम बताये है जिन को पढ़ कर आप अच्छे से व्रत कर सकते है
- आप को व्रत करने के लिए सुबह जल्दी उठे |
- जल्दी उठ कर नित्य क्रिया कर के स्नान कर लेवे |
- उस के बाद आप को साफ-सुथरे कपडे पहने और आप नये भी पहन सकते है |
- अपना सारा काम को निपटा कर आप मंदिर या आप जहाँ पूजा करते है उस पवित्र स्थान को गंगा जल से पवित्र करे |
- फिर आप पूजा की सामग्री, प्रशाद और पूजा की तयारी करे |
- पूजा सामग्री, और प्रशाद में आप माला, लोटा, गंगाजल, दीपक, रुई (बत्ती के लिए), पान, सुपारी, ऋतूफल, रोली, मोली, कपूर, धुप, लोंग, धतूरा, कुमकुम, पंचाम्रत (गाये का दूध, घी, दही, शहद, शक्कर) , आरती के लिए थाली, आम के पत्ते आदि सामग्री ले सकते है |
- भगतो आप के पास इन में से विशेषत जरुरी सामग्री होनी जरुरी है अगर बाकि की कोई सामग्री नहीं है तो भी आप पूजा कर सकते है |
- यह सब तयारी कर लेने के बाद आप पूजा को सुरु कर सकते है |
- भगतो पूजा को सुरु करने से पहले आप को भगवान श्री गणेश जी को याद करना चाहिय |
- क्योकि जब हम कोई भी शुभ कार्य करते है तो हम सब से पहले श्री गणेश जी को याद करते है |
सावन/श्रावण सोमवार व्रत कथा के लाभ | Sawan Somvar Vrat Katha Benefits
- अगर आप सावन के सोमवार के साथ ही साथ आप हर सोमवार को 108 बार महाम्रत्युयज मंत्र का जाप करे इस मंत्र का जप करने से आप के घर में सुख-समर्धि आयेगी |
- भगवान शिव की पूजा-पाठ, व्रत करके आप अपना मनचाहा फल प् सकते है |
- अविवाहित लड़की अच्छा वर पाने के लिए भगवान शिव जी की आराधना और उनका व्रत रखते है |
- घर में सुख-शांति बनाये रखने के लिए करते है सावन के सोमवार का व्रत (Sawan Somvar Vrat Katha) |
- महादेव भोले बाबा जी का व्व्रत को पुरे विधि-विधान से रखने से शिव जी के साथ-साथ माता पार्वती जी का भी आशीर्वाद मिलता है |
- अगर आप के विवाहिक जीवन में कोई भी बाधा आ रही है तो आप भगवान शिव जी के व्रत रख सकते है आप को ये सब करने के बाद आपको अच्छे परिणाम मिलेगे |
- बीमारी जैसी समस्या के लिए भी आप भोले जी का व्रत रख सकते है आप के सवास्थय में सुधर आएगा |
- संतान का सुख मिल सकता ही बाब जी के आशीर्वाद से आप को|
- मंद-बुधि जैसी समस्याओ के लिए करे सावन के सोमवार के व्रत(Sawan Somvar Vrat Katha) मिलेगे आप को बहेतर रिजेल्ट |
- सकारात्मक उर्जा मिलेगी और प्रेम का भाव भी मिलेगा |

(Sawan Somvar Vrat Katha)सोमवार के व्रत में ये काम बिलकुल भी नहीं करना चाहिय
दोस्तों महान पंडितो का मानना है की शिव जी का व्रत (सोमवार का व्रत) करते वक्त आप को कभी भी यह कम नहीं करना चाहिय क्यकी यह शिव जी को बिलकुल भी पसंद नहीं है तो आप भी इन बातो का ध्यान रखे
- आप को कभी भी शिव जी की पूजा या व्रत रखते समय आप को काले रंग के कपडे नहीं पहने चाहिय |
- सोमवार के व्रत रखते समय आप को कभी भी सफ़ेद कपड़ो और दूध का त्याग नहीं करना चाहिय |
- इस दिन घर में किसी भी प्रकार की कलेश नहीं करना चाहिय विशेषत माता के साथ |
- सोमवार के दिन सुबह 7.30-9.00 बजे तक राहू काल रहता है इस समय कोई भी सुबह काम नहीं करना चाहिय |
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सावन/श्रावण सोमवार व्रत कथा | Sawan Somvar Vrat Katha in Hindi
एक समय की बात है देव नगर में एक धनी सेठ रहता था | वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और वह सुबह शाम भगवान शिव की पूजा करता और हर सोमवार के दिन पूरी विधि-विधान के तहत सोमवार का व्रत भी रखता था | सेठ धनी होते हुए भी एक बात से बहुत दुखी रहता था क्योंकि उसके कोई संतान नहीं थी | दिन रात वह अपनी संतान की चिंता लिए दुखी रहता था वह सोचता कि मेरे मर जाने के बाद मेरे धन-सपत्ति का क्या होगा और मेरे परिवार का आगे कोई वंस नहीं चलेगा |
सेठ और सेठानी इन्हीं बातों को इन्हीं बातों से परेशान रहते थे | लेकिन उन्होंने भगवान की भक्ति करना नहीं छोड़ा और सच्चे मन से भगवान की भक्ति करते रहे रहे |
एक दिन माता पार्वती जी ने उनकी भक्ति को देखकर भगवान शिव से कहा हे प्राणनाथ हे देवों के देव महादेव यह व्यापारी और उसकी पत्नी आपकी दिन रात अच्छी भक्ति करते हैं और हर सोमवार के दिन आपका पूरी विधि-विधान से व्रत भी रखते हैं आप इनकी मनोकामना जरूर पूरी करें |
शिव जी ने मुस्कुराते हुए कहा हे पार्वती इस पूरे संसार में जो जैसा कर्म करता है उसको कर्म के अनुसार वैसा ही फल प्राप्त होता है इन्हें भी अपने कर्मों के हिसाब से इनका फल मिल जाएगा |
लेकिन माता पार्वती नहीं मानी और उन्होंने कहा कि आपको सेठ की इच्छा पूरी करनी होगी इनको संतान का सुख देना ही होगा | पार्वती जी की बात सुनकर शिव ने कहा ठीक है मैं आप के कहने पर इस सेठ को पुत्र प्राप्ति का वरदान देता हूं लेकिन मेरे दिए गए वरदान से इसे पुत्र प्राप्ति तो हो जाएगी लेकिन इसके पुत्र कि उम्र 16 वर्ष से अधिक नहीं होगी |
भगवान शिव ने रात में सेठ के स्वपन में आकर उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दिया और साथ में यह भी कहा कि तुम्हारे होने वाले पुत्र की आयु 16 वर्ष होगी | सेठ भगवान का वरदान सुनकर बहुत खुश हुवा लेकिन उसको दुख भी हुआ क्योंकि उसके पुत्र की आयु केवल 16 वर्ष ही थी | सेठ पहले की तरह सोमवार का व्रत पूरी विधि विधान से करता रहा और कुछ समय बाद उनके घर में खुशियां भर आई |
उनके घर में पुत्र हुआ धूमधाम से पुत्र के जन्म का उत्सव मनाया जाने लगा |लेकिन बालक की उम्र कम है यह रहस्य सेठ के अलावा किसी को पता नहीं था | सेठ इस बात से बहुत परेशान रहता था | धीरे-धीरे लड़का बड़ा होता गया जब उसकी उम्र 12 वर्ष हो गई तो लड़के को शिक्षा के लिए वाराणसी भेजने का निर्णय लिया |
सेठ ने लड़के के मामा को बुलाया और कहा आप इसको शिक्षा के लिए वाराणसी छोड़ कर आओ और रास्ते में जहां भी विश्राम करो वहां पर हवन करवाना और ब्राह्मणों को भोजन कराते जाना | लड़के के मामा ने वैसे ही किया वह जहां जहां भी रात्रि विश्राम के लिए रुकते उन्होंने वहीं पर यज्ञ कराया और ब्राह्मणों को भोजन भी कराया |
काफी दूरी चलने के बाद वह एक नगर पहुंचे जहां पर उस नगर के राजा की लड़की का विवाह था विवाह करने के लिए वहां पर बारात आई हुई थी | राजा की बेटी का विवाह जिस लड़की के साथ होना तय था वह एक आंख से काना था | दूल्हे के पिता इस बात से बहुत परेशान था कि अगर मेरे लड़के का पता राजा को लग गया कि यह एक आंख से काना है तो अपनी बेटी की शादी मेरे लड़के के साथ नहीं करेगा और मेरी बदनामी होगी |
जब दूल्हे के पिता ने सेठ के लड़के को देखा और उसके मन में एक विचार आया की क्यों ना में इस लड़के को विवाह करवा दू ओए जब शादी हो जाएगी तब इस लडके को कुछ धन दे कर विदा करवा दुगा और इस दुल्हन को में मेरे घर ले जाउगा | दुल्हे के पिता ने वैसे ही किया और उसने लड़के के मामा को धन का लालच दे कर विवाह के लिए माना लिया |
सेठ के लड़के को तैयार केर के शादी करवा दी गई और फिर जब दुल्हन जाने लगी तब सेठ के लडके ने आ कर दुल्हन के चुनी (ओढ़नी) पर लिखा की तुम्हारी शादी तो मेरे साथ हुई है लेकिन में तो वाराणसी जा रहा हु शिक्षा के लिए और तुम्हे जहा ले जाया जायेगा वहां पर जो तुम्हारा पति होगा वह एक आख से काना है |
जब राजकुमारी ने ये पढ़ा तो उसने काने लड़के के साथ जाने से इनकार कर दिया। उधर सेठ का बेटा अपने मामा के साथ वाराणसी पहुंच गया। उसने पढ़ना शुरू कर दिया।
जब उस युवक की आयु 16 वर्ष पूरी हुई तो उसने एक यज्ञ किया। यज्ञ की समाप्ति पर ब्राह्मणों को भोजन कराया और खूब अन्न, वस्त्र दान किए। रात को उस लड़के की मृत्यु हो गई। सूर्योदय पर जब मामा ने अपने भांजे को मरा हुवा देखा तो वो रोने-पीटने लगा। मामा के रोने, विलाप करने के स्वर समीप से गुजरते हुए भगवान शिव और माता पार्वती ने भी सुने। पार्वतीजी ने भगवान से कहा- ‘प्राणनाथ! मुझसे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहे। आप इस व्यक्ति के कष्ट दूर करें।
भगवान शिव ने जब देखा तो उन्होंने आपने मन में सोचा की यह तो उसी सेठ का पुत्र है जिसकी उम्र कम थी तो वे पार्वतीजी से बोले पार्वती यह तो उसी सेठ का पुत्र है। मैंने इसे 16 वर्ष की आयु का वरदान दिया था। इसकी आयु तो पूरी हो गई। पार्वतीजी ने फिर भगवान शिव से निवेदन किया हे प्राणनाथ आप इस लड़के को जीवित करें। नहीं तो इसके माता-पिता भी पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनकर अपने प्राणों का त्याग कर देंगे। इस लड़के का पिता आपका परम भक्त है। वर्षों से सोमवार का व्रत कर रहा है।
पार्वती जी के आग्रह करने पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित कर दिया। शिक्षा समाप्त करके जब वह लड़का अपने मामा के साथ अपने नगर लौट रहा था तो दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे, जहां उसका विवाह राजकुमारी के साथ हुआ था। उस नगर में भी उसने यज्ञ का आयोजन किया। उस नगर के राजा ने तुरंत उसे पहचान लिया। यज्ञ समाप्त होने पर राजा सेठ के बेटे और उसके मामा को महल में ले आए और उन्हें बहुत-सा धन, वस्त्र देकर राजकुमारी के साथ विदा किया।
लड़के के मामा ने नगर में पहुंचते ही एक दूत को घर भेजकर अपने आगमन की सूचना भेजी। बेटे के जीवित वापस लौटने की सूचना से सेठ बहुत प्रसन्न हुआ। व्यापारी और उसकी पत्नी ने स्वयं को एक कमरे में बंद कर रखा था। भूखे-प्यासे रहकर वो दोनों अपने बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो दोनों अपने प्राण त्याग देंगे।
सेठ अपनी पत्नी के साथ नगर के द्वार पर पहुंचा। अपने बेटे के जीवित होने और उसके विवाह का समाचार सुनकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसी रात भगवान शिव ने सेठ के सपने में आकर कहा हे श्रेष्ठी मैंने तेरे सोमवार व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लंबी आयु प्रदान की है। ऐसा सुनकर सेठ काफी प्रसन्न हुआ। और ख़ुशी-खुशी अपने परिवार से साथ रहने लगे
कहा जाता है की कोई इस कथा को पढता है उस की सभी मनोकामनाए पूरी होती है और उसे अच्छा फल मिलता है |