Rama ekadashi vrat katha pdf | रमा एकादशी व्रत कथा एवं विधि पीडीऍफ़

Rama Ekadashi Vrat Katha pdf file is available here with puja Vidhi for download. You can direct download this pdf file from the given link. The link is given at the end of this article.

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जानते है | इस दिन भगवान विष्णु की पूजा एवं व्रत रखने का विधान है | हमारे हिन्दू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है | यह दीपावली से पहले एकादशी को पड़ता है | इस दिन पूजा एवं विधि विधान से व्रत कथा का पाठ करने से वैभव, धन दौलत की कृपा होती है |

यहाँ इस लेख में हम आपको Rama Ekadashi Vrat Katha PDF फाइल के रूप में उपलब्ध करवा रहें है ताकि इसे आप अपने मोबाइल में स्टोर कर सके एवं समय आने पर व्रत कथा का पाठ कर सके |

रमा एकादशी व्रत कथा 2022 समय सारणी | Rama Ekadashi Vrat Katha Time Table

  • रमा एकादशी तारीख – 21 अक्टूबर 2022
  • रमा एकादशी समय – October 20, 4:05 pm से October 21, 5:23 pm
  • हिन्दू कैलेंडर अनुसार – कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को
  • पूजा एवं व्रत समय – 21 अक्टूबर 2022 प्रात: काल
PDF FILE NAMERama Ekadashi Vrat Katha PDF
SIZE OF THE PDF333 KB
TOTAL SIZE05
CATEGORYDharmik PDF
VRAT DATE21 October 2022
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रमा एकादशी व्रत कथा पीडीऍफ़ | Rama Ekadashi Vrat Katha PDF

कथा निम्नानुसार है –

एक समय की बात है, मुचुकुंडा नामक राजा की एक बेटी थी जिसका नाम चंद्रभागा था। उसकी शादी राजा चन्द्रसेन के पुत्र शोभन से हुई थी। राजा मुचुकुंडा भगवान विष्णु के भक्त थे और उन्होंने अपने राज्य के सभी व्यक्तियों को रमा एकादशी के उपवास का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया था। चंद्रभागा अपने बचपन से रमा एकादशी व्रत रखती थीं।

एक बार राजकुमारी अपने पति राजकुमार शोभन के साथ अपने पिता के घर पर रमा एकादशी व्रत का अनुष्ठान कर रही थी लेकिन राजकुमार अत्यधिक बीमार थे परंतु उन्होंने यह व्रत रखा लेकिन अधिक कमजोरी के कारण राजकुमार यह झेल नहीं पाए और उनकी मृत्यु हो गई।

लेकिन रमा एकादशी उपवास को करने से प्राप्त गुणों के कारण, राजकुमार को स्वर्ग में जगह मिली और उन्होंने एक अदृश्य साम्राज्य स्थापित किया।  एक बार मुचुकुंडा साम्राज्य से एक ब्राह्मण बाहर निकला, और उसने शोभन और उसके राज्य को देखा। राजकुमार ने जब सारी बातें ब्राह्मण को बताईं तो ब्राह्मण ने राजकुमार का संदेश राजकुमारी चंद्रभागा तक पहुंचाया।

कई रमा एकादशी व्रतों का पालन करने के बाद राजकुमारी ने अपने प्रताप से राजकुमार के राज्य को वास्तविकता मे इन बदल दिया और वे दो दोनों एक अच्छा जीवन जीने लगे कारण चंद्रभागा द्वारा प्राप्त लाभ और योग्यता के कारण, चंद्रभागा ने अपने दिव्य आशीर्वादों के साथ साम्राज्य को वास्तविकता में बदल दिया और दोनों ने हमेशा के लिए राज्य बनाया और एक दिव्य और आनंदमय जीवन जीना शुरू कर दिया।

एक अन्य कथा के अनुसार प्राचीनकाल में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक महाक्रूर बहेलिया रहता था। उसने अपनी सारी जिंदगी, हिंसा,लूट-पाट, मद्यपान और झूठे भाषणों में व्यतीत कर दीया | जब उसके जीवन का अंतिम समय आया तब यमराज ने अपने दूतों को क्रोधन को लाने की आज्ञा दी। यमदूतों ने उसे बता दिया कि कल तेरा अंतिम दिन है।  

मृत्यु भय से भयभीत वह बहेलिया महर्षि अंगिरा की शरण में उनके आश्रम पहुंचा। महर्षि ने दया दिखाकर उससे रमा एकादशी का व्रत करने को कहा। इस प्रकार एकादशी का व्रत-पूजन करने से क्रूर बहेलिया को भगवान की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति हो गई।

रमा एकादशी व्रत कथा

रमा एकादशी व्रत कथा करने की विधि | Rama Ekadashi Vrat katha Puja Vidhi

  • रमा एकादशी को सुबह ब्रह्म मुहर्त में उठें |
  • उठ कर नित्य क्रियाओं से निवृत होकर स्नान करें |
  • स्नान के पश्चात माता लक्ष्मी एवं भगवान की विष्णु की अराधना करें |
  • पूजा का थाल सजाएँ इसमें दीप, तुलसी, धुप, फल-फुल, कपूर एवं रूपए पैसे रखें |
  • दिन भर का व्रत रखें | यह उपवास एकादशी से पहले अर्थात दशमी को शुरू होता है एवं द्वादश को खत्म होता है |
  • एकादशी के अगले दिन व्रत को तोड़े एवं गरीबों को भोजन सामग्री वितरित करें |
  • एकादशी के दिन पुरे दिन भगवान की पूजा अर्चना एवं ध्यान में लगायें |
  • यह आपको शारीरिक एवं मानसिक शांति प्रदान करने वाला व्रत है |
  • इस बार रमा एकादशी दीपावली से 2 दिन पहले आ रही है |

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