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Ganesh Ji ki Aarti: गणेश जी आरती पीडीऍफ़ लिरिक्स इन हिंदी : नमस्कार ! आप का अपनी pdfhind.com पर फिर से स्वागत है | जैसे की आप जानतें हो की आज की इस पोस्ट में हम आप को श्री गणेश जी की आरती और गणेश चालीसा का pdf डाउनलोड करने तथा सीधा यहाँ पर आप पढ़ सकते है |
प्यारे भगतो वेसे तो आप सब जानते हो की भगवन श्री गणेश जी को अपन हर शुभ कार्य में सबसे पहले पूजा जाता है | श्री गणेश जी माता पर्वती और भगवन शिव जी के पुत्र है| इसे माना जाता है की श्री गणेश जी को याद कर के किया गया काम हमेसा पूर्ण तथा अच्छा ही होता है | वैसे तो गनेश जी की आरती (Ganesh Ji ki Aarti) और चालीसा को रोजाना पढना चाहिए लेकिन अगर जिन लोगो को टाइम नहीं मिल पता है उन को कम से कम बुधवार के दिन पाठ करने से भी श्री गणेश जी खुश होते है |
गणेश जी का साल का सब से महत्वपूर्ण दिन गणेश चतुर्थी का दिन होता है इस दिन पुरे भारत देश में हर्षोउल्लास से मनाया जाता है | विशेष तोर पर इस दिन महाराष्ट्र में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है | महाराष्ट्रा के मुंबई में इस का शिद्दीविनायक जा का मंदिर सब से फेमस मंदिर है | पूजा की शुरुवात गणेश जी (Ganesh ji ki Aarti ) की आरती से होता है |

गणेश जी की आरती पीडीऍफ़ फाइल की जानकारी | Ganesh ji ki Aarti lyrics PDF file details
Name of the PDF File | Ganesha Ji Aarti & Chalisa lyrics PDF in Hindi (गणेश जी की आरती और चालीसा की पीडीऍफ़ फाइल) |
PDF File Size | 4.6 MB || 2.3 MB |
Categories | Religious |
Source | pdfhind.com |
Uploaded on | 17-12-2021 |
PDF Language | Hindi (हिंदी) |
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Ganesh ji ki Aarti lyrics in hindi | गणेश जी की आरती (बुधवार की आरती )
जय गणेश जय गणेश,
श्री गणेश आरती ||
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
Ganesh Chalisa lyrics in hindi pdf | गणेश चालीसा लिरिक्स पीडीऍफ़ फाइल
श्री गणेश चालीसा
श्री गणेश चालीसा
॥दोहा॥
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
॥चौपाई॥
जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल भरण करण शुभः काजू॥
जै गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता। गौरी लालन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे। मुषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुची पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी। बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै। पालना पर बालक स्वरूप हवै॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं। नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं। सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आये शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक, देखन चाहत नाहीं॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो। उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई। का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ। शनि सों बालक देखन कहयऊ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी। सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा। शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो। काटी चक्र सो गज सिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी। करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
॥दोहा॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश॥
10 Famous Ganesh Temples Of India | भारत के 10 प्रसिद गणेश जी के मंदिर
- श्री सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई
- श्रीमंत दग्दूशेठ हलवाई मंदिर, पुणे
- निपकम विनायक मंदिर चित्तूर
- मनकुला विनायक मंदिर, पुडुचेरी
- मधुर महागणपति मंदिर, केरल
- रणथंबौर गणेश मंदिर, राजस्थान
- मोती डूंगरी गणेश मंदिर, जयपुर
- गणेश टॉक मंदिर, गंगटोक
- गणपतिपुले मंदिर, रत्नागिरी, महाराष्ट्र
- उच्ची पिल्लयार मंदिर, तमिलनाडु