[PDF] DURGA CHALISA PDF INSTANT DOWNLOAD | दुर्गा चालीसा आरती सहित डाउनलोड करें तुरंत

Contents

Durga Chalisa pdf : नमस्कार ! आज हम आपके लिए मां दुर्गा जी की आरती एवं पाठ लेकर आए हैं | जैसे कि आप सब जानते हो हिंदू धर्म के अनुसार मां दुर्गा जी को आदिशक्ति कहा जाता है जो मां दुर्गा के की उपासना करता है उसके सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं और अपने कार्यों में सफलता साधन से भूत बहुत खुश रहता है दुर्गा चालीसा के पाठ को बहुत ही शक्तिशाली माना जाता हैं |

आप यहां से मां दुर्गा जी की आरती, मां दुर्गा जी का पाठ डाउनलोड कर सकते हैं हमने आपके लिए यहां से सीधा पीडीएफ डाउनलोड करने का लिंक दिया है|

दुर्गा-चालीसा-

माँ-दुर्गा-की-आरती-

दुर्गा चालीसा पीडीऍफ़ फाइल का विवरण | Details of Durga Chalisa Pdf

Name of the PDF FileDURGA CHALISA PDF | Durga ma ki aarti pdf
PDF File Size 0.087MB |0.067MB
Categories Religious
Source pdfhind.com
Uploaded on 07-12-2021
PDF Language Hindi (हिंदी)

दुर्गा चालीसा की पूजा सामग्री | Durga Chalisa Puja Samgri PDF File

  • माँ दुर्गा की मूर्ति
  • मिट्टी का बर्तन तथा जौ
  • जल से भरा हुआ कलश
  • रोली
  • कपूर
  • इलाइची
  • लौंग
  • चावल
  • सिक्के
  • आम के पांच पत्ते
  • लाल कपड़ा या चुनरी
  • सिंदूर
  • फूल और फूल माला
  • सुहाग का सामान
  • गाये का घी

दुर्गा चालीसा पाठ हिंदी में पीडीऍफ़ के फायदे | Benefits of Durga Chalisa

दुर्गा चालीसा को पढ़ने की अद्भुत फायदे हैं दुर्गा चालीसा के से होने वाले फायदों के बारे में हम आपको बताते हैं | जो लोग मां दुर्गा जी का पाठ करते हैं उन पर माता का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है | वैसे तो विशेष रुप से नवरात्रि हमें मां दुर्गा चालीसा का पाठ करना जरूरी है लेकिन कोई दुर्गा चालीसा का पाठ है रोजाना करता है तो मां दुर्गा जी बहुत प्रसन्न होते हैं और उसके जीवन में समृद्धि शांति बना रहता है|

सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर है मां दुर्गा का पाठ माता दुर्गा जी का पाठ करने से मन में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और अपने मन की मानसिक शक्ति भी विकसित होती है

दुख दर्द है मैं सहारा है मां दुर्गा का पाठ माता दुर्गा का रोजाना पाठ करने से हमारे जीवन के सभी दुख कष्ट दर्द से छुटकारा मिलता है एवं माता दुर्गा की का आशीर्वाद हम पर बना रहता हैं|

गुस्सा और ड्रेस द्वेष से दूर करता है मां Durga Chalisa pdf माता दुर्गा का रोज पाठ करने से मन में शांति एवं सद्भावना का भाव पैदा होता है मां दुर्गा चालीसा का पाठ बड़े-बड़े ऋषि मुनि भी करते थे इससे मन शांत बना रहता है

दुर्गा चालीसा पाठ हिंदी | Durga Chalisa Path in Hindi

हम आप के लिए यहाँ पर Durga Chalisa pdf यहा पर दिया गया है जिस के आप माँ दुर्गा का पथ कर सकते है

नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥

निराकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥

शशि ललाट मुख महाविशाला । नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥

रूप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अति सुख पावे ॥

तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी । तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥

रूप सरस्वती को तुम धारा । दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा ॥

धरा रूप नरसिंह को अम्बा । प्रगट भईं फाड़कर खम्बा ॥

रक्षा कर प्रह्लाद बचायो । हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं । श्री नारायण अंग समाहीं ॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा । दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी । महिमा अमित न जात बखानी ॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी । छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥

केहरि वाहन सोह भवानी । लांगुर वीर चलत अगवानी ॥

कर में खप्पर-खड्ग विराजै । जाको देख काल डर भाजे ॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥

नगर कोटि में तुम्हीं विराजत । तिहुंलोक में डंका बाजत ॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे । रक्तबीज शंखन संहारे ॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी । जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥

रूप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब । भई सहाय मातु तुम तब तब ॥

अमरपुरी अरु बासव लोका । तब महिमा सब रहें अशोका ॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजें नर-नारी ॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावै । दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई ॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥

शंकर आचारज तप कीनो । काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥

शक्ति रूप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछितायो ॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥

आशा तृष्णा निपट सतावे । मोह मदादिक सब विनशावै ॥

शत्रु नाश कीजै महारानी । सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥

करो कृपा हे मातु दयाला । ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ॥

जब लगि जियउं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥

दुर्गा चालीसा जो नित गावै । सब सुख भोग परमपद पावै ॥

देवीदास शरण निज जानी । करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

दुर्गा चालीसा की आरती | Durga Chalisa Aarti

यहाँ हम आपको दुर्गा चालीसा की आरती अर्थात Durga Chalisa pdf के रूप में उपलब्ध करवा रहें है | इस आरती के माध्यम से आप इसे डाउनलोड कर सकते है |

ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, मैया जी को सदा मनावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, निर्मल से दोउ नैना, चन्द्रबदन नीको ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।

कनक समान कलेवर,,रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गलमाला, लाल कुसुम गलमाला, कण्ठन पर साजै ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्परधारी ।
सुर नर मुनिजन सेवत, सुर नर मुनिजन ध्यावत, तिनके दुखहारी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।

शुम्भ निशुम्भ विडारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, मधुर विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
चण्ड मुण्ड संघारे, शोणित बीज हरे ।
मधुकैटभ दोउ मारे, मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, चारों वेद बखानी, तुम शिव पटरानी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।

चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरू ।
बाजत ताल मृदंगा, बाजत ढोल मृदंगा, अरु बाजत डमरू ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।

तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता ।
भक्तन की दुख हरता, संतन की दुख हरता, सुख-सम्पत्ति करता ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।

भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, मनइच्छा फल पावत, सेवत नर नारी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत, धोळा गिरी पर राजत, कोटि रतन ज्योति ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।

श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावै, मैया प्रेम सहित गावें ।
कहत शिवानन्द स्वामी, रटत हरिहर स्वामी, मनवांछित फल पावै ।।

ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत , मैया जी को सदा मनावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।

67 KB

Leave a Comment