[PDF Download] Shree Ram Chalisa | श्री राम चालीसा लिरिक्स पीडीऍफ़ फाइल

Written by Editorial Team

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Shree Ram Chalisa : नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आप के लिए भगवान श्री राम चालीसा(Shree Ram Chalisa) का सम्पूर्ण पाठ और श्री राम जी ले मंत्रो का फाइल ले कर आये है | तो आप यहाँ से श्री राम चालीसा से जुडी सारी जानकारी यहाँ से प्राप्त कर सकते है | हम हर रोज आप लिय एक नै पोस्ट लाते रहते है-

प्यारे भगतो भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहा जाता है | कारण यह है की श्री रन को पुरुषो में सबसे श्रेष्ठ और उत्तम माना गया है इसीलिए पुरुषोतम कहा गया है | भगवन श्री राम जी का यह अवतार रावण के घमंड, पाप, दुराचार को ख़त्म करने के लिए लिया था भगवान शिव ने और संसार को उनके पापो से मुक्त करवाया |

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प्यारे श्री राम जी का जन्म अयोध्या नगरी में राजा दशरथ जी के घर में हुआ था | श्री राम जी के माता जी का नाम कोशल्या था | भगवन राम के गुरु जी का नाम विशिष्ठ था तथा उनकी पत्नी माता सीता है | भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवाश काटने की सजा मिली थी | उनके दो पुत्र लव और कुश है | भगवान श्री राम जी के सच्चे भगत श्री हनुमान जी है जो बुधि और बल के देवता है |

Shree Ram Chalisa file

श्री राम चालीसा पीडीऍफ़ फाइल की जानकारी | Shree Ram Chalisa file Details

Name of the PDF FileShree Ram Chalisa | (श्री राम चालीसा)
PDF File Size6.1 MB
CategoriesReligious
SourcePDFHIND.COM
Uploaded on03-01-2022
PDF LanguageHINDI & SANSKRIT

श्री राम चालीसा और मंत्रो का जप करने की विधि | How to do Shree Ram Chalisa and Mantra

दोस्तों अभी कोरोना के प्रोकोप (महामारी) के चलते पूजा-अर्चना अपने घर में ही करे और बहार जाये तो मास्क और दुरी जरुर बनाये रखे और अपना ओर अपने घर वालो का ध्यान रखे |

  • सुबह जल्दी उठ कर नित्य क्रिया कर के जल्दी स्नान करे |
  • फिर साफ कपडे पहन कर मंदिर में या अपने पूजा का स्थान पर पूजा सामग्री तैयार करे |
  • पूजा सामग्री में मोली, धुप, माला, दीपक, घी , आरती के लिए थाली आदि |
  • पूजा सुरु करने से पहले पूजा स्थान पर पूर्व दिशा की और मुह करके विराजमान हो |
  • पूजा सुरु करने से पहले अपने आप को शुद्ध करना चाहिये |
  • शुद्ध करने के लिय आप को गंगाजल से अपने आप को शुद्ध करे और अपने चारो और गंगाजल से शुदिकरण करे
  • पूजा में सब से पहले राम जी की आरती, चलीसा और हनुमान चालीसा का भी पाठ कर सकते है |
  • जैसे ही आप पूजा पूर्ण कर लो उस के बाद भगवान को प्रशाद ला भोग लगा कर प्रशाद को वितरण करे और खुद भी प्रशाद् ले |
  • हो सके तो आप कोई जरूरतमंद को दक्षिणा भी दे सकते है | दान-दक्षिणा का पूजा में विशेष महत्व है |

श्री राम चालीसा और मंत्रो का जप करने फायेदे | Benifits of Shree Ram Chalisa and Mantra

  • पाठ करने से भगवन श्री राम अपने भगतो के दुःख हर लेते है |
  • राम की भागती से बिगड़े काम बनने लगते है |
  • भगवन श्री राम जी के आशीर्वाद से घर में सुख-शांति और ख़ुशी का माहोल रहता है |
  • श्री राम जी की पूजा-अर्चना करने से शिव जी भी प्रसन्न होते है क्योकि शिव जी का ही अवतार है श्री राम |
  • भगवान की भागती से नकारात्मक सोच से सकारात्मक सोच की ओर बढते है |
  • भगवान को प्रशन्न कर उनका आशीर्वाद बना रहता है जिन्दगी में आने वाली परेशानियों से लड़ने की शक्ति मिलती है |
  • भगवान के आशीर्वाद से गृह-कलेश, रिश्तो में रूकावट, परेशानियों से छुटकारा मिलता है |

भगवान श्री राम मंत्र | Shree Ram Mantra

दोस्तों वैसे तो इन मंत्रो की महानतय बहुत है तो आप इन मंत्रो को रोजना पढ़ के भगवन श्री राम का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है |

रामाय नम:।
फट् राम फट्।
श्रीं राम श्रीं राम।
ह्रीं राम ह्रीं राम।
श्रीराम शरणं मम्।
श्रीरामचन्द्राय नम:।
क्लीं राम क्लीं राम।
ॐ राम ॐ राम ॐ राम।
ॐ रामाय हुं फट् स्वाहा।
‘श्रीराम, जयराम, जय-जय राम’।

श्री राम चालीसा का सम्पूर्ण पाठ | Shree Ram Chalisa Path

चोपाई
श्री रघुवीर भक्त हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई।
ता सम भक्त और नहिं होई॥2॥

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं।
ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना।
जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥4॥

तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गुंसाई।
दीनन के हो सदा सहाई॥6॥

ब्रह्मादिक तव पारन पावैं।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी।
तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥8॥

गुण गावत शारद मन माहीं।
सुरपति ताको पार न पाहीं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई।
ता सम धन्य और नहिं होई॥10॥

राम नाम है अपरम्पारा।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥12॥

शेष रटत नित नाम तुम्हारा।
महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा।
पाव न कोऊ तुम्हरो पारा॥14॥

भरत नाम तुम्हरो उर धारो।
तासों कबहुं न रण में हारो॥
नाम शक्षुहन हृदय प्रकाशा।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥16॥

लखन तुम्हारे आज्ञाकारी।
सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई।
युद्घ जुरे यमहूं किन होई॥18॥

महालक्ष्मी धर अवतारा।
सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥20॥

घट सों प्रकट भई सो आई।
जाको देखत चन्द्र लजाई॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत।
नवो निद्घि चरणन में लोटत॥22॥

सिद्घि अठारह मंगलकारी।
सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई।
सो सीतापति तुमहिं बनाई॥24॥

इच्छा ते कोटिन संसारा।
रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हे चरणन चित लावै।
ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥26॥

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा।
नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी।
सत्य सनातन अन्तर्यामी॥28॥

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै।
सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं।
तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥30॥

सुनहु राम तुम तात हमारे।
तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥32॥

जो कुछ हो सो तुम ही राजा।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे।
जय जय दशरथ राज दुलारे॥34॥

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा।
नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा।
नाम तुम्हार हरत संतापा॥36॥

सत्य शुद्घ देवन मुख गाया।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन।
तुम ही हो हमरे तन मन धन॥38॥

याको पाठ करे जो कोई।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा।
सत्य वचन माने शिर मेरा॥40॥

और आस मन में जो होई।
मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥42॥

साग पत्र सो भोग लगावै।
सो नर सकल सिद्घता पावै॥
अन्त समय रघुबरपुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥44॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै।
सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥45॥

॥ दोहा॥
सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्घ हो जाय॥

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