Mangla Gauri Aarti PDF: मंगला गौरी की आरती और व्रत की अगर आप पीडीऍफ़ डाउनलोड करना चाहते है तो हम इस लेख में आपको पीडीऍफ़ उपलब्द करा रहे है |
सावन के महीने में हर मंगलवार को सुहागन महिलाए अपने पति की लम्बी उम्र के लिए मंगला गौरी का व्रत रखती है | और यह भी मान्यता है कि यदि कोई कन्या इस व्रत को श्रधापुर्वक रखती है तो, उसे एक योग्य वर प्राप्त हो सकता है |
PDF NAME | Mangla Gauri Aarti PDF |
SIZE | 1 mb |
TOTAL PAGE | 01 |
SOURCE | https://pdfhind.com |
CATEGORY | Dharmik PDF |
DOWNLOAD LINK | Available |
मंगला गौरी जी की आरती:-
सावन के महीने में हर सोमवार का जितना महत्व है, उतना ही हर मंगलवार के दिन का है | इस दिन देवी पार्वती की पूजा की जाती है | इस दिन पूजा करने से माँ पार्वती के साथ महादेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है | चलिए जानते है Mangla Gauri Aarti PDF:-
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता। जय मंगला गौरी…।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय मंगला गौरी…।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है,
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था। जय मंगला गौरी…।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता। जय मंगला गौरी…।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता,
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता। जय मंगला गौरी…।
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता। जय मंगला गौरी…।
देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता। जय मंगला गौरी…।
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
मंगला गौरी जी व्रत कथा :-
सावन में मंगलवार को किये जाने वाले व्रत को मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है | इस व्रत में भगवान शिव,पार्वती, गणेश और नंदी की पूजा की जाती है | मंगला गौरी का व्रत करने वाली महिलाए इस व्रत में मंगला गौरी की कथा पढ़ती है | आइये जानते है कि मंगला गौरी व्रत कथा क्या है?
एक समय की बात है एक नगर में धनञ्जय नाम का सेठ था | उसकी पत्नी काफी सुन्दर एवं सुशील थी | सेठ के पास बहुत धन – दौलत भी था लेकिन इनको कोई संतान नहीं थी | संतान न होने के कारण दोनों काफी दुखी रहते थे |
भगवान की कृपा से इनको एक संतान हुई लेकिन वह अल्पायु थी | इस संतान के बारे में कहा गया था की यह 16 वर्ष तक ही जियेगा | सेठ ने बेटे की शादी किसी कन्या से निर्धारित कर दी | संयोंग से जिस युवती से उसके बेटे की शादी होने जा रही थी, उसकी माता मंगला गौरी की भक्त थी एवं उसकी माता को वरदान प्राप्त था की उसकी बेटी कभी विदवा नहीं होगी |
मंगला गौरी के इस वरदान से सेठ का वह बीटा 100 वर्षों तक जीया एवं अकाल मृत्यु से बचा |
इसी कारण से सभी नवविवाहित महिलाऐं मंगला गौरी का व्रत करती है | मंगला गौरी जी का वर्त आस्था एवं भावना से करने से लम्बी आयु एवं सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता है |
इस कथा को सुनने के बाद विवाहित महिला अपनी सास को 16 लड्डू देती है | इसके बाद यही प्रसाद ब्राहमण को भी दिया जाता है | इस व्रत को करने के लिए 16 बती वाले दीये से देवी की आरती की जाती है |
मंगला गौरी जी की व्रत कथा
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