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Mangalvar Vrat Katha pdf file Downlod | मंगलवार (हनुमान) व्रत कथा :- नमस्कार दोस्तों आज हम आप के लिए Mangalvar Vrat Katha का पीडीऍफ़ फाइल ले कर आये है |अगर आप श्री हनुमान जीके Mangalvar Vrat Katha का पाठ करना चाहते हैं तो हमारे इस पोस्ट को जरुर पढ़ें और हमने नीचे मंगलवार व्रत कथा का पीडीएफ फाइल डाउनलोड लिंक दिया है जिसे आप इस फाइल को डाउनलोड कर सकते हैं |
भक्तों आपको पता होगा मंगलवार के दिन श्री हनुमान जी को याद करके उपवास रखा जाता है |इस दिन श्री हनुमान जी की पूजा अर्चना की जाती है और उनकी कथा का पाठ किया जाता है जो भी भगत है श्री हनुमान जी का व्रत रखते हैं अथार्त मंगलवार का व्रत रखते हैं वह इस कहानी को जरूर पढ़ें मंगलवार के दिन सुबह स्नान करके हनुमान जी के मंदिर में जाकर मंगलवार व्रत कथा को पढ़ना अत्यंत ही शुभ माना गया है और भगवान श्री हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद हमें मिलता है|
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Download Link :- सुंदरकांड सम्पूर्ण पाठ पढ़े और पीडीऍफ़ फाइल डाउनलोड करे-
Download Link :- शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा पढ़े और पीडीऍफ़ फाइल डाउनलोड करे-
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार है भी मंगलवार के दिन व्रत या उपवास रखने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं हिंदू धर्म में मंगलवार के व्रत का बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है कहा जाता है कि पूरी विधि विधान पूर्वक व्रत करने से व्रत करने वाले को सभी प्रकार से लाभ प्राप्त होता है घर में सुख, शांति खुशी का माहौल बना रहता है और भी आदि तरह के लाभ मिलते हैं |

मंगलवार के व्रत कथा की पीडीऍफ़ फाइल की जानकारी | Mangalvar Vrat Katha pdf file Details
Name of the PDF File | Mangalvar Vrat Katha pdf |
PDF File Size | MB |
Categories | Religious |
Beneficiary | Any one |
Source | PDFHIND.COM |
Uploaded on | 09-02-2022 |
PDF Language | HINDI & SANSKRIT |
Total page | 2 |
मंगलवार व्रत करने का नियम | मंगलवार का व्रत कैसे करे
- पाठ को करने के लिए आप को सुबह जल्दी उठ कर सवच्छ हो कर के जल्दी स्नान कर लेना चाहिय |
- फिर साफ कपडे पहन कर मंदिर में या अपने पूजा का स्थान पर पूजा सामग्री तैयार करे |
- अब सबसे पहले भगवन की मूर्ति को स्नान करने के लिए कलश में गंगा जल या फिर आप शुद्ध जल ले कर स्नान कवये और आगे की तये सुरु करे
- फिर पूजा सामग्री ( चावल, कुमकुम, दीपक, घी, धूपबत्ती, अष्टगंध ) तैयार करे |
- प्रसाद सामग्री ( फल, लड्डू, मिठाई, नारियल, पंचामृत, आदि ) अपनी श्रद्धा के अनुसार ले सकते है |
- पूजा सुरु करने से पहले अपने माथे पर तिलक लायगे और पूजा में बेठे सभी लोगो को भी तिलक करे |
- श्री गणेश जी का नाम ले कर पूजा सुरु करे | वैसे आप कोई भी शुभ काम करे या पूजा अर्चना करे तो श्री गणेश जी के नाम से करने से और भी अच्छा माना जाता है |
- जैसे ही आप की पूजा पाठ सम्पूर्ण हो जाये तब आप प्रशाद वितरण करे और सब के अंत में खुद भी प्रशाद ले |
मंगलवार का व्रत में कभी भी इन चीजो का सेवन नहीं करे | वर्त में इन चीजो का सेवन नहीं करे-
दोस्तों जब भी आप वर्त रखे तब आप को निम्न चीजो का सेवन नहीं करना चाहिय और अगर आप इन चीजो का सेवन करते है तो आप के ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है |
- व्रत रखने के बाद आप को मास, मच्छी, अंडे,आदि चीजो का सेवन नहीं करना चाहिय |
- बासी या ठंडे प्रदर्थो का सेवन नहीं करना चाहिए|
- शराब ऑर्ट अन्य नशीली चीजो का भी सेवन नहीं करना चाहिय |
- विद्वान् पंडितो के अनुसार तो नमन का सेवन भी नहीं करना चाहिय |
- मन को सांत रखे और भगती का भाव रखे |
मंगलवार के व्रत की उद्यापन विधि | जाने मंगलवार का व्रत केसे उजने
मंगलवार के व्रत को उद्यापन करने से पहले आप को कम से कम 22 मंगलवार के व्रत करने के बाद ही उद्यापन ही करना चाहिय | जब आप वर्त का उद्यापन करे तब आप को हनुमान जी की सुबह जल्दी उठ के पूजा-पाठ कर लेना चाहिय और घर में अच्छा पकवान बनाये और हनुमान जी को भी बेसन के लड्डू के साथ साथ घर में बने पकवान का भी भोग लगाये | उस के बाद कम से कम 21 ब्राहमणों को भोजन करवाए और अपनी श्रधानुसार उन को दान-दक्षिणा दे | इस विधि सेव्रत को उद्यापन करना सबसे श्रेष्ट माना गया है |
मंगलवार वर्त कथा | पढ़े पूरी मंगलवार व्रत कथा
एक समय की बात है की देवनागरी में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था उस दम्पति की कोई संतान नहीं थी इसी कारन से वह परेसान रहता था और दुखी रहता था | गाँव में ब्राह्मण की सभी लोग इज्जत करते थे और मानते थे | ब्राह्मण श्री हनुमान की पूजा-पाठ किया करता था और हनुमान जी का व्रत (मंगलवार का व्रत) करता था |
कुछ समय बाद ब्राह्मण अपने घर को छोड़ कर जंगल में हनुमान जी की तपस्या करने चला गया और घर पर अकेली ब्राह्मणी में भी मंगलवार ला व्रत करना सुरु कर दिया | ब्राह्मणी मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठ कर नहाना धोना कर कर हनुमान जी को भोग लगा कर ही खाना खाती थी |
कुछ दिन एसे ही बीत गए और फिर एक दिन ब्रम्हाणी भुलवंश घर के कामो में व्यस्त होने के कारन हनुमान जी को भोग नहीं लगा पी और न ही खुद ने खाना खाया फिर उस ने सोचा की माँ जब तक खाना नहीं खोऊगी जब तक हनुमान जी के भोग न लगा दू और फिर ब्रम्हाणी ने वैसे ही किया ३-४ दिन बिट जाने केबाद ब्रम्हाणी की तबियेत बिगारने लगी और वो बे सुध हो कर गिर गई |
यह देख कर श्री हनुमान जी को दया आई और उन्होंने वहां पर प्रकट हो कर ब्रम्हाणी को वरदान में बच्चा दिया और चले गए | ब्राह्मणी की ख़ुशी का कोई ठिखाना ही नहीं रहा और अपने बच्चे का बड़े ही चाव से लालन पोषण करने लगी |
कुछ समय बिट जाने के बाद ब्राह्मण भी घर लोट आय और उस ने देखा की ब्राह्मणी एक बच्चे के साथ खेल रही है जब ब्राहमण ने अपनी पत्नी से पुचा की ये बच्चा किस का है तो ब्राह्मणी ने बोला की ये आप का बच्चा है स्वामी | ब्राह्मण को विस्वास नहीं हुआ और वह मन ही मन दुखी ही गया और बच्चे को जान से मरने की सोच ने लगा |
एक दिन मोका प् कर ब्राह्मण ने बच्चे को कुवे में धकेल दिया और घर आ गया और इसे दिखने लगा की जैसे घर में कुछ हुवा ही नहीं है | उस की पत्नी ने पूछा की बच्चा कहा है तो बोला नहीं पता अभी तो येही खेल रहा था ये सब देख के ब्रम्हाणी बहुत दुखी हुई और रोने लगी इतने में ही वह बच्चा वहा आ गया और अपनी माँ को चुप करने लगा ये सब देख कर ब्राह्मण बहुत आश्र्य्चाकित हुआ और सोचने लगा की यह कैसे हुवा |
रात के समय जब ब्राह्मण जब सो रहा था तब उस के स्वपन में हनुमान जी ने बताया की यह बच्चा तेरा है मेने तम्हारी भगती से प्रसन्न हो कर वरदान में दिया है | उस के बाद ब्राह्मण अपने परिवार के साथ ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगा और भगवन जी की भगती करते रहे |