Hanuman Ashtak (हनुमान अष्टक) PDF Download | संकटमोचक हनुमान अष्टक डाउनलोड करें

hanuman ashtak pdf :- Dear friends if you Want to read and download Shree hanuman ashtak mantra file then download it by clicking on the download button given below | श्री हनुमान अष्टक का पाठ डाउनलोड करने के लिए निचे दिया गये लिंक से आप आसानी से डाउनलोड कर सकते है |

नमस्कार दोस्तों संकटमोचक हनुमान जी सबसे शक्तिशाली देवताओ में से है और एक बार श्री हनुमान जी का आशीर्वाद मिल जाने से हमारे सारे काम पुरे हो जाते है | श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने से हमें श्री राम जी की भी दया द्रष्टि भी बनी रहती है | अष्टक पाठ करने से सुख-चैन मिलता है और जीवन में आने वाले दुःख का विनाश करते है अष्टक मंत्र |

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Hanuman Ashtak मंत्रो को श्री स्वामी तुलसी दास जी के द्वरा लिखा गया है | जैसे की नाम से ही पता चलता है की हनुमान अष्टक कुल मिला कर आठ छंद से बना है | हनुमना अष्टक में श्री हनुमान जी की शक्ति का वर्णन किया गया है |

Hanuman Ashtak
Hanuman Ashtak

हनुमान अष्टक पाठ के फाइल की जानकारी | Hanuman Ashtak (हनुमान अष्टक) PDF file Details

Name of the PDF FileHanuman Ashtak
PDF File Size2.7 MB
CategoriesReligious
BeneficiaryFor All People
SourcePDFHIND.COM
ModeOnline/Offline
Uploaded on11-03-2022
PDF LanguageHINDI
Hanuman Ashtak पाठ

साथियों वैसे तो श्री वीर हनुमान जी के नामो का जाप करने से भी हमें अच्छा लाभ मिलता है लेनिक आप जल्द ही हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते है तो आप इन मंत्रो का जाप कर सकते है |

हनुमान जी की रोचक कहानी संशिप्त में | Shree Hanuman Short story

हनुमान जी को बचपन से ही तीनो सार्ष्टि के देवताओ का वरदान प्राप्त था | हनुमान जी बचपन से ही नटखट थे और वे अपनी शक्तिओ से सभी को परेशान रखते थे जैसे की एक बार हनुमान जी ने सूर्य को एक फल समझ कर निगल लिया था तब तीनो लोको के देवताओ के आग्रह करने पर हनुमान जी ने सूर्य को भार निकला और सार्ष्टि को बचाया | यह सब देख कर सभी देवताओ ने हनुमान जी को एक श्राप दिया की आप को दी गई शक्तियां जब तक याद नहीं रहेगी जब तक आप को कोई याद न दिला दे |

जैसे की आपने रामायण (रामलीला) में देखा होगा जब सीता माता जी की खोज के लिए श्री हनुमान जी को जामवंत जी ने उनको शक्तियों के बारे में याद दिलाया और फीर हनुमान जी समुन्द्र पर कर के सीता माता को खोजा था |

दोस्तों हमारी कहानी से यह पता चलता है की हनुमान जी को रोजाना याद करने से वह हमारी पीड़ा को समझ जाते है उनके अष्टक, आरती, हनुमान चालीसा, सुन्दरकाण्ड आदि का जाप रोजाना करने से हमारी अरदास भगवान को याद रहती है और हमें अच्छा लाभ मिलता है |

हनुमान जी के अष्टक का पाठ करने के लाभ | Benefits of the Hanuman Ashtak Path

  • अगर आप श्री वीर हनुमान अष्टक मंत्रो का जप करने से (उचारण करने से) आप के घर में सुख-समर्धि आयेगी |
  • बुधि-बल के देवता है श्री हनुमान अर्थात हनुमान जी की उपसना से हमारी बुधि तेज होती है |
  • घर में सुख-शांति बनाये रखने के लिए आप श्री हनुमान जी के अष्टक पाठ का सहारा के सकते है |
  • हनुमान जी को प्रसन्न कर के आप श्री राम जी का भी आशीर्वाद पा सकते है |
  • अगर आप के काम में कोई रुकावट आ रही है तो आप पवन सूत हनुमान जी के अष्टक के मंत्रो का सहारा के सकते है आप को ये पाठ करने के बाद आपको अच्छे परिणाम मिलेगे |
  • रोग, पीड़ा जैसी समस्या के लिए भी आप हनुमान जी के अष्टक का पाठ कर सकते है धीरे-धीरे सवास्थय में सुधर आएगा |
  • अगर बाल-बच्चे नहीं हो रहे है तो भी आप को इस का अच्छा परिणाम मिल सकता है हनुमान जी के आशीर्वाद से |
  • मंद-बुधि जैसी समस्याओ के लिए करे हनुमान जी की उपासना आप को वाकई में बहेतर रिजेल्ट मिलेगे |
  • सकारात्मक उर्जा के साथ प्रेम भाव भी बना रहेगा |

हनुमान अष्टक का सम्पूर्ण पाठ | Sri Hanuman Ashtak Path

बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥
देवन आन करि बिनती तब, छांड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 1 ॥

हिंदी अनुवाद :- हे वीर बलि हनुमान जी आपने अपने बाल्यावस्था में सूर्य को निगल लिया था जिससे तीनों लोक में अंधकार फ़ैल गया और सारे संसार में भय व्याप्त हो गया। सब अस्त-वस्त होने लगा | इस संकट का किसी के पास कोई समाधान नहीं था। तब देवताओं ने आपसे प्रार्थना की और आपने सूर्य को छोड़ दिया और इस प्रकार सबके प्राणों की रक्षा हुई। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महा मुनि शाप दिया तब,चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥
के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु,सो तुम दास के शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥2॥

हिंदी अनुवाद :- वीर के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे। एक दिन सुग्रीव ने जब राम लक्ष्मण को वहां से जाते देखा तो उन्हें बालि का भेजा हुआ योद्धा समझ कर भयभीत हो गए। तब हे हनुमान जी आपने ही ब्राह्मण का वेश बनाकर प्रभु श्रीराम का भेद जाना और सुग्रीव से उनकी मित्रता कराई। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।

अंगद के संग लेन गये सिय,खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ॥
हेरि थके तट सिंधु सबै तब,लाय सिया-सुधि प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥3॥

हिंदी अनुवाद :- जब सुग्रीव ने आपको अंगद, जामवंत आदि के साथ सीता की खोज में भेजा तब उन्होंने कहा कि जो भी बिना सीता का पता लगाए यहाँ आएगा उसे मैं प्राणदंड दूंगा। जब सारे वानर सीता को ढूँढ़ते ढूँढ़ते थक कर और निराश होकर समुद्र तट पर बैठे थे तब आप ही ने लंका जाकर माता सीता का पता लगाया और सबके प्राणों की रक्षा की। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।

रावन त्रास दई सिय को सब,राक्षसि सों कहि शोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,जाय महा रजनीचर मारो ॥
चाहत सीय अशोक सों आगि सु,दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥4॥

हिंदी अनुवाद :- रावण के दिए कष्टों से पीड़ित और दुखी माता सीता जब अपने प्राणों का अंत कर लेना चाहती थी तब हे हनुमान जी आपने बड़े बड़े वीर राक्षसों का संहार किया अर्थात आप ही उनका वध किया | अशोक वाटिका में बैठी सीता दुखी होकर अशोक वृक्ष से अपनी चिता के लिए आग मांग रही थी तब आपने श्रीराम जी की अंगूठी देकर माता सीता के दुखों का निवारण कर दिया। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।

बाण लग्यो उर लछिमन के तब,प्राण तजे सुत रावण मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ॥
आनि सजीवन हाथ दई तब,लछिमन के तुम प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥5॥

हिंदी अनुवाद :- जब मेघनाद ने लक्ष्मण पर शक्ति का प्रहार किया और लक्ष्मण मूर्छित हो गए तब हे हनुमान जी आप ही लंका से सुषेण वैद्य को घर सहित उठा लाए और उनके परामर्श पर द्रोण पर्वत उखाड़कर संजीवनी बूटी लाकर दी और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।

रावण युद्ध अजान कियो तब,नाग कि फांस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,मोह भयोयह संकट भारो ॥
आनि खगेस तबै हनुमान जु,बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥6॥

हिंदी अनुवाद :- रावण ने युद्ध में राम लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया। तब श्रीराम जी की सेना पर घोर संकट आ गई। तब हे हनुमान जी आपने ही गरुड़ को बुलाकर राम लक्ष्मण को नागपाश के बंधन से मुक्त कराया और श्रीराम जी की सेना पर आए संकट को दूर किया। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।

बंधु समेत जबै अहिरावन,लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि,देउ सबै मिति मंत्र बिचारो ॥
जाय सहाय भयो तब ही,अहिरावण सैन्य समेत सँहारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥7॥

हिंदी अनुवाद :- लंका युद्ध में रावण के कहने पर जब अहिरावण छल से राम लक्ष्मण का अपहरण करके पाताल लोक ले गया और अपने देवता के सामने उनकी बलि देने की तैयारी कर रहा था। तब हे हनुमान जी आपने ही राम जी की सहायता की और अहिरावण का सेना सहित संहार किया। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।

काज किये बड़ देवन के तुम,वीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,जो तुमसों नहिं जात है टारो ॥
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,जो कछु संकट होय हमारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥8॥

हिंदी अनुवाद :- हे हनुमान जी, आप विचार के देखिये आपने देवताओं के बड़े बड़े काम किये हैं। मेरा ऐसा कौन सा संकट है जो आप दूर नहीं कर सकते। हे हनुमान जी आप जल्दी से मेरे सभी संकटों को हर लीजिये। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।

अंतिम दोहा

लाल देह लाली लसे,अरू धरि लाल लंगूर ।
बज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर ॥

हिंदी अनुवाद :- हे हनुमान जी, आपके लाल शरीर पर सिंदूर शोभायमान है। आपका वज्र के समान शरीर दानवों का नाश करने वाला है। आपकी जय हो, जय हो, जय हो। बोलो पवन सूत हनुमान की जय |

|:| इति संकटमोचन हनुमानाष्टक सम्पूर्ण |:|

हिंदी अनुवाद :- इसी प्रकार संकट मोचन हनुमान जी का अष्टक पाठ सम्पूर्ण हुवा |

Hanuman Ashtak

हनुमान अष्टक का पाठ कब करना चाहिए ?

हनुमान अष्टक का पाठ मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठ कर करना चाहिए | जब आप इस का पाठ करे तब आप लाल रंग के वस्त्र पहने तो और भी ज्यादा अच्छा रहता है |

हनुमान अष्टक का पाठ करने से क्या लाभ मिलते है ?

श्री संकट मोचन हनुमान का अष्टक का पाठ करने से हमारे जीवन में सुख-चैन, धन-सम्पदा से घर सम्रध रहता है और बाधा, काम में रूकावट, दुःख, कलेश से मुक्ति मिलती है |

हनुमान अष्टक के रचयिता कौन है ?

वीर हनुमान अष्टक को स्वामी तुलसी दास जी के द्वरा लिखा गया है

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