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Maa Laxmi Chalisa : नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आप के लिए माँ लक्ष्मी चालीसा पाठ(Maa Laxmi Chalisa) का सम्पूर्ण पाठ ले कर आये है | तो आप यहाँ से माता श्री लक्ष्मी जी से जुडी सारी जानकारी यहाँ से प्राप्त कर सकते है | तो दोस्तों आप पढ़िय माँ चलीसा पाठ और उन से जुडी जानकारी |
Maa Laxmi Chalisa : माँ लक्ष्मी जी को धन की देवी कहा जाता है | अगर घर में समृद्धि और सुख-शांति बनाये रखने के लिए माँ लक्ष्मी जी को प्रसन्न रखना जरुरी है | दोस्तों आप यहाँ पर दी गई लक्ष्मी जी का चालीसा का पाठ को पढ़ कर माँ लक्ष्मी जी लो प्रसन्न कर सकते है |
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माँ लक्ष्मी जी त्रिवेदियो में से एक है | त्रिदेवियो में माँ लक्ष्मी, माँ पार्वती और माता सरस्वती जी है | माता लक्ष्मी जी भगवान विष्णु जी की पत्नी है | दीपावली के दिन बड़े ही धूम-धाम से भगवान गणेश जी और माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है |

दोस्तों आप को बता दे की हिन्दू धर्म ही नहीं बल्कि जैन धर्म में भी लक्ष्मी जी को भाग्य की देवी मन जाता है | माता लक्ष्मी का प्रतिक चिन्ह गदा धनुष-बान | माँ लक्ष्मी जी उल्लू,गरुड़,और कमल की सवारी करते है |
लक्ष्मी चालीसा फाइल की जानकारी | Maa Laxmi Chalisa file Details
Name of the PDF File | Maa Laxmi Chalisa | (लक्ष्मी चालीसा) |
PDF File Size | 5.4 MB |
Categories | Religious |
Source | PDFHIND.COM |
Uploaded on | 04-01-2022 |
PDF Language | HINDI & English |
लक्ष्मी चलीसा पाठ करने फायेदे | Benefits of Maa Laxmi Chalisa
लक्ष्मी चालीसा (Maa Laxmi Chalisa) पाठ का जाप करने के चमत्कारी फायेदे –
- माता जी की चालीसा का जाप करने से निर्धन को भी धन सम्पदा का लाभ मिलता है |
- माँ लक्ष्मी जी के चमत्कारी चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
- पाठ करने से माता की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है।
- पाठ करने से स्मरणशक्ति और अपने आप में आत्मविश्वास बढ़ता है |
- मंत्रो का जाप करने से वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है।
- मंत्रो का जाप करने से हमरे शरिर में एक सकारात्मक उर्जा मिलती है |
- माता जी केचालीसा का पाठ करने से विष्णु जी का भी आशीर्वाद हमेशा बना रहता है |
- माता के चालीसा का पाठ करने से बुरी किस्मत,स्वास्थ्य समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है |
- प्रति शुक्रवार के दिन माता जी का उपवास रख कर माता जी की कहानी और चालीसा का जाप करने से वैवाहिक रिश्तों में लाभ, धन में वृधि, अटके काम बन जाते है और किस्मत के दरवाजे भी खुल जाते है |
माँ लक्ष्मी जी को पसंद नहीं है ये काम
- कभी भी सूर्योदय और सूर्यास्त के समय नहीं सोना चाहिय | माता जी को यह पसंद नहीं है तो एसा नहीं करे –
- रात के समय में कभी भी बाल और नाख़ून नहीं काटना चाहिय –
- खाना खाते समय कभी भी खाने को बिच में नहीं छोड़ना चाहिय –
- खाना खाने के बाद सीधे कोई कम में लगना नहीं चाहिय पहले अच्छे से मुह हाथ धो कर कम करे –
- चन्दन को घिस कर सीधा कभी भी भगवान या माता जी को तिलक नहीं करना चाहिय पहले चन्दन को पिस कर अक बर्तन में ले फिर तिलक करना चाहिय –
माँ लक्ष्मी चालीसा का सम्पूर्ण पाठ | Maa Laxmi Chalisa path in Hindi
॥ दोहा॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा,
करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्घ करि,
परुवहु मेरी आस॥
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास,
हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास,
जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी।
सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा।
सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥1॥
तुम ही हो सब घट घट वासी।
विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी।
दीनन की तुम हो हितकारी॥2॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी।
कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी।
सुधि लीजै अपराध बिसारी॥3॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी।
जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता।
संकट हरो हमारी माता॥4॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो।
चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी।
सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥5॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा।
रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा।
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥6॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं।
सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी।
विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥7॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी।
कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई।
मन इच्छित वांछित फल पाई॥8॥
तजि छल कपट और चतुराई।
पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई।
जो यह पाठ करै मन लाई॥9॥
ताको कोई कष्ट नोई।
मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि।
त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥10॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै।
ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै।
पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥11॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना।
अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै।
शंका दिल में कभी न लावै॥12॥
पाठ करावै दिन चालीसा।
ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै।
कमी नहीं काहू की आवै॥13॥
बारह मास करै जो पूजा।
तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही।
उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥14॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई।
लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा।
होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥15॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी।
सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं।
तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥16॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै।
संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी।
दर्शन दजै दशा निहारी॥17॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी।
तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में।
सब जानत हो अपने मन में॥18॥
रुप चतुर्भुज करके धारण।
कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई।
ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥19॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
माँ लक्ष्मी चालीसा का सम्पूर्ण पाठ अंगेजी में | Maa Laxmi Chalisa path
॥ Doha ॥
Matu Lakshmi Kari Kripa
Karo Hriday Mai Vaas.
Manokamna Siddha Kari,
Purvahu Meri Aaas.
॥ Soratha ॥
Yahi Meri Ardas,
Hath Jor Viniti Karoon.
Sabh vidhi Karo Suvas,
Jai Janani Jagdambika.
Chopai
Sindhusuta Main Sumiron Tohi,
Gyaan Buddhi Vidhya Dehu Mohi.
Tum Samaan Nahin Kou Upakaari,
Sab Vidhi Puravahu Aas Hamaari.
Jai Jai Jagat Janani Jagadambaa,
Sab Ki Tumahi Ho Avalambaa.
Tumahii Ho Ghat Ghat Ki Waasi,
Binti Yahi Hamarii Khaasi.
Jag Janani Jai Sindhu Kumaari,
Deenan Ki Tum Ho Hitakaari.
Vinavon Nitya Tumhi Maharani,
Kripa Karo Jag Janani Bhavaani.
Kehi Vidhi Stuti Karon Tihaarii,
Sudhi Lijain Aparaadh Bisari.
Kriapadrishti Chita woh Mam Orii,
Jagat Janani Vinatii Sun Mori.
Gyaan Buddhi Jai Sukh Ki Daata,
Sankat Harahu Hamaare Maata.
Kshir Sindhu Jab Vishnumathaayo,
Chaudah Ratn Sindhu Mein Paayo.
Sindhusuta Main Sumiron Tohi,
Gyaan Buddhi Vidhya Dehu Mohi.
Tum Samaan Nahin Kou Upakaari,
Sab Vidhi Puravahu Aas Hamaari.
Jai Jai Jagat Janani Jagadambaa,
Sab Ki Tumahi Ho Avalambaa.
Tumahii Ho Ghat Ghat Ki Waasi,
Binti Yahi Hamarii Khaasi.
Jag Janani Jai Sindhu Kumaari,
Deenan Ki Tum Ho Hitakaari.
Vinavon Nitya Tumhi Maharani,
Kripa Karo Jag Janani Bhavaani.
Kehi Vidhi Stuti Karon Tihaarii,
Sudhi Lijain Aparaadh Bisari.
Kriapadrishti Chita woh Mam Orii,
Jagat Janani Vinatii Sun Mori.
Gyaan Buddhi Jai Sukh Ki Daata,
Sankat Harahu Hamaare Maata.
Kshir Sindhu Jab Vishnumathaayo,
Chaudah Ratn Sindhu Mein Paayo.
Chaudah Ratn Mein Tum Sukhraasi,
Seva Kiyo Prabhu Banin Daasi.
Jab Jab Janam Jahaan Prabhu Linhaa,
Roop Badal Tahan Seva Kinhaa.
Swayam Vishnu Jab Nar Tanu Dhaara,
Linheu Awadhapuri Avataara.
Tab Tum Prakat Janakapur Manhin,
Seva Kiyo Hriday Pulakaahi.
Apanaya Tohi Antarayaami,
Vishva Vidit Tribhuvan Ki Swaami.
Tum Sam Prabal Shakti Nahi Aani,
Kahan Tak Mahimaa Kahaun Bakhaani.
Mann Karam Bachan Karai Sevakaai,
Mann Eechhit Phal Paai.
Taji Chhal Kapat Aur Chaturaai,
Pujahi Vividh Viddhi Mann Laai.
Aur Haal Main Kahahun Bujhaai,
Jo Yah Paath Karai Mann Laai.
Taako Koi Kasht Na Hoi,
Mann Eechhit Phal Paavay Soii.
Traahi- Traahii Jai Duhkh Nivaarini,
Trividh Tap Bhav Bandhan Haarini.
Jo Yeh Parhen Aur Parhaavay,
Dhyan Laga Kar Sunay Sunavay.
Taakon Kou Rog Na Sataavay,
Putr Aadi Dhan Sampati Paavay.
Putraheen Dhan Sampati Heena,
Andh Badhir Korhhi Ati Diinaa.
Vipr Bulaay Ken Paath Karaavay,
Shaankaa Dil Mein Kabhi Na Laavay.
Path Karaavay Din Chalisa,
Taapar Krapaa Karahin Gaurisaa.
Sukh Sampatti Bahut-Si Paavay,
Kami Nanhin Kaahuu Ki Aavay.
Baarah Maash Karen Jo Puja,
Tehi Sam Dhanya Aur Nahin Dujaa.
Pratidin Paath Karehi Man Manhi,
Un sam koi Jag Mein Naahin.
Bahuvidhi Kaya Mein Karahun Baraai,
Ley Parikshaa Dhyaan Lagaai.
Kari Vishvaas Karay Vrat Naima,
Hoi Siddh Upajay Ur Prema.
Jai Jai Jai Lakshmi Bhavani,
Sab Mein Vyaapit Ho Gun khaani.
Tumhro Tej Prabal Jag Maahin,
Tum Sam Kou Dayaalu Kahun Naahin.
Mohi Anaath Ki Sudhi Ab Lijay,
Sannkat Kaati Bhakti Bar Deejay.
Bhool chook Karu Shamaa Hamaari,
Darshan Deejay Dasha Nihaari.
Bin Darshan Vyaakul Adhikari,
Tumhin Akshat Dukh Shatte Bhaari.
Nahin Mohi Gyaan Buddhi Hai Tan Mein,
Sab Jaanat Ho Apane Mann Mein.
Roop Chaturbhuj Karke Dhaaran,
Kasht Mor Ab Karahu Nivaaran .
Kehi Prakaar Mein Karahun Badai,
Gyaan Buddhi Mohin Nahin Adhikaai.
॥ Doha ॥
Traahi Traahi Dukh Haarini,
Harahu Vegi Sab Traas.
Jayati Jayati Jai Lakshmi,
Karahu Shatru Ka Naas.