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Budhvar Vrat Katha In Hindi Lyrics । बुधवार व्रत कथा :- नमस्कार दोस्तों आज की यह पोस्ट आप के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाली है | इस पोस्ट में श्री गणेश जी की व्रत कथा का पीडीऍफ़ फाइल ले कर आये है | आप अगर इस ओद्फ़ फाइल को डाउनलोड करना चाहते है तो हमारी इस पोस्ट के निचे हम ने डाउनलोड लिंक दिया है तो आप वहां से फोले डाउनलोड करे |
बुधवार के दिन व्रत रखना अत्यधिक लाभदायक माना गया है बुधवार के दिन भगवान बुद्ध जी के साथ साथ श्री गणेश जी का व्रत किया जाता है उनकी पूजा-अर्चना की जाती है | महान ज्योतिषों और विद्वान् पंडितो की मान्यताओं के अनुसार , बुधवार के व्रत की शुरुआत विशाखा नक्षत्रयुक्त बुधवार से होनी चाहिए।
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बुधवार का व्रत श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और इस के अलावा जब आप की कुंडली में बुद्ध ग्रह का बुरा प्रभाव या दोष आ जाये तब भी आप बुधवार का व्रत कर सकते है और अपने कुंडली में आये दोषमुक्त हो सकते है साथ ही साथ गणेश जी का भी आशीर्वाद पा सकते है |

बुधवार के व्रत कथा की पीडीऍफ़ फाइल की जानकारी | Budhvar Vrat Katha pdf file Details
Name of the PDF File | Budhvar Vrat Katha pdf |
PDF File Size | MB |
Categories | Religious |
Beneficiary | Any one |
Source | PDFHIND.COM |
Uploaded on | 09-02-2022 |
PDF Language | HINDI & SANSKRIT |
Total page | 2 |
बुधवार का व्रत कैसे करे | How to do Budhvar Vrat Katha
- बुधवार का व्रत करने के लिए आप को कम से कम 7 बुधवार के व्रत करने चाहिए|
- बुधवार के व्रत को शुक्ल पक्ष में शुरुआत महीने में किया जाना बहुत अधिक फायदेमंद होता है |
- पितृपक्ष में इस व्रत को शुरू नहीं करना चाहिए |
- व्रत को करने के लिए बुधवार के दिन सुबह जल्दी उठ कर नित्य क्रिया कर स्नान करके तांबे के बर्तन में साफ जले ले कर भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति को स्नान करावे |
- पूजा करने के लिए पूर्व दिशा में मुख होना अत्यधिक शुभ माना जाता है लेकिन कोई कारण वंश आप पूरब दिशा में मुंह करके पूजा करना संभव नहीं है तो आप उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा कर सकते हैं |
- पूजा के स्थान पर पूजा सामग्री तैयार करें |
- पूजा सामग्री में धूप, दीपक, घी, कपूर, चंदन, पूजा के लिए थाली, चिकनी मिट्टी का श्री गणेश जी और दूब अवश्य लें |
- इसके बाद पूजा शुरू कर सकते हैं |
- पूजा शुरू करने से पहले आपको श्री गणेश जी की मंत्रों का कम से कम आपको 108 बार जाप करना चाहिए |
- श्री गणेश जी का मंत्र ओम गण गणपतए नमः का जाप करें | और इस के बाद आप निचे दिया मंत्र का जप कर के पूजा सुरु कर सकते है
ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम् ।
Budhvar Vrat Katha puja salok
ज्येष्ठराजं ब्रह्मणाम् ब्रह्मणस्पत आ नः शृण्वन्नूतिभिःसीदसादनम्
ॐ महागणाधिपतये नमः ॥

इस के बाद आप पूजा सुरु कर सकते है पूजा में आप श्री गणेश जी आरती और चालीसा तथा गणेश जी के चमत्कारी मंत्रो का भी जप कर सकते है हम आप को एक एक कर के साडी पीडीऍफ़ फाइल देगे जिस से आप श्री गणेश जी को प्रसन्न कर सकते है
दोस्तों आप को बता दे की बुधवार के दिन हम गणेश जी के साथ साथ भगवान श्री बुद्ध को भी पूजते है तो आप भगवान बुध को याद या स्मरण करने के लिए इन मंत्रो की मदद ले सकते है यह मंत्र बहुत ही शक्तिशाली है इस मंत्र को हम बुध गयेत्री मंत्र कहते है –
बुध गायत्री मन्त्र- ऊँ चन्द्रपुत्राय विदमहे रोहिणी प्रियाय धीमहि तन्नोबुध: प्रचोदयात ।
Budh Mantra
बुधवार का व्रत करते समय इन चीजो का ध्यान रखे | बुधवार का व्रत के व्रत में ये गलती माँ करे
- बुधवार का व्रत रखते समय आपको नमक को नहीं खाना चाहिए |
- बुधवार के व्रत रखते समय आपको मांस, मच्छी का सेवन नहीं करना चाहिए |
- बुधवार का व्रत रखते समय आपको मदीरा (दारू) का भी सेवन नहीं करना चाहिए |
- बुधवार का व्रत रखते समय आपको हरे रंग के वस्त्र पहनना अधिक शुभ माना जाता है |
- बुधवार का व्रत करने के बाद आपको गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति को घी और गुड़ का भोग लगाएं |
- बुधवार के व्रत रखते समय आपको दिन में एक समय ही भोजन करना चाहिए एक समय आप फल फ्रूट खा सकते हैं |
- व्रत रखते समय आपको किसी गरीब या जरूरतमंद को आप दान दक्षिणा कुछ भी दे सकते हैं |
- व्रत रखते समय आपको किसी के साथ अभद्र व्यवहार नहीं करना चाहिए ना ही उसको गलत बोलना चाहिए|
पढ़े श्री गणेश जी का प्रार्थना मंत्र | Ganesha Prarthna Mantra
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय!
Ganesha Prarthna Mantra
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते!!
भक्तार्तिनाशनपराय गनेशाश्वराय, सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय!
विद्याधराय विकटाय च वामनाय , भक्त प्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते!!
नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम:!
नमस्ते रुद्राय्रुपाय करिरुपाय ते नम:!!
विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारणे!
भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक!!
लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय!
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!
त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति ,
भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति!
विद्याप्रत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति,
तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव!!
गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम !
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोSस्तु सदा मम !!
Budhvar Vrat Katha Puja Aarti | बुधवार व्रत पूजा आरती को पढ़े
आरती युगलकिशोर की कीजै| तन मन धन न्यौछावर कीजै ||…..
गौरश्याम मुख निरखत रीजै| हरि का स्वरुप नयन भरि पीजै ||…..
रवि शशि कोट बदन की शोभा| ताहि निरखि मेरो मन लोभा ||…..
ओढ़े नील पीत पट सारी| कुंजबिहारी गिरवरधारी ||…..
फूलन की सेज फूलन की माला| रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला ||…..
कंचनथार कपूर की बाती| हरि आए निर्मल भई छाती ||…..
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी| आरती करें सकल ब्रज नारी ||…..
नन्दनन्दन बृजभान, किशोरी| परमानन्द स्वामी अविचल जोरी ||…..
सम्पूर्ण बुधवार व्रत कथा पढ़े | Budhvar Vrat Katha In Hindi Lyrics
प्राचीन समय की बात है देव नगर में एक एक राजा आपनी पत्नी के साथ रहता था राजा नाम सुन्दर सिहं था | राजा थोरा घमंडी था वह अपने ही मन की करता था | एक बार जब राजा की पत्नी ने अपने पीहर जाने के लिए बोला तो राजा मन गया और उसे वहां ले जाने के लिए तैयार हो गया | दोनों पति पत्नी अपने घर से निकल गए और अपने ससुराल के लिए चल पड़े |
ससुराल में कुछ दिन रहने के बाद पति में अपनी पत्नी को अपने घर चलने के लिए बोला | तो पत्नी ने जाकर अपने माता-पिता को बोला कि वे अपने घर जाने के लिए बोल रहे हैं | उसके माता-पिता ने राजा को आकर बोला कि आज तो बुधवार है तो बुधवार के दिन घर से विदा नहीं दे सकते तो आप 1 दिन और रुक जाइए अगले दिन सुबह चले जाना | लेकिन राजा तो अपने मन की करता था उसने किसी की नहीं मानी और कहा कि हम आज ही जाएंगे | तब वह पति पत्नी को तैयार हो जाने के लिए बोला और बिना किसी की मने वहां से विदा हो गए |
कुछ समय कुछ दूरी तय करने के बाद राजा की पत्नी को प्यास लग गई और उसने राजा से पानी लाने के लिए कहा | राजा ने ठीक वैसे ही किया वह अपनी घोड़ा गाड़ी को रोक कर पानी लाने के लिए चल दिया जब राजा पानी लेकर वापस आया तो उसने देखा कि उसकी पत्नी के पास कोई शख्स बैठा हुआ है | यह देखकर राजा घबरा गया और गुस्से में उस व्यक्ति को बोला कि तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो | जब राजा ने देखा की वह आदमी उस की ही सकल का है तो वह और ज्यदा चिंतित हो गया |
पत्नी के पास बैठे व्यक्ति ने कहा कि मैं इसका पति हूं मैं आपको नहीं जानता आप कौन है | राजा को और गुस्सा आया और वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा तब वहां के लोग इकट्ठा हो गए और राजा को बुरा भला कहने लगे| राजा बहुत ही परेशान हो गया और उस ने अपनी पत्नी से पूछा की तुम ही बातो की तुम्हारा पति कौन है पत्नी ने दोनों को देखा तो उन में समझ नहीं पाई की मेरा पति कौन है और उस ने कुछ नहीं बोला |
राजा को कोई रास्ता नहीं दिखा तब उसने भगवान से प्रार्थना की कि हे भगवान यह मेरे साथ क्या हो गया है तब भगवान की एक आकाशवाणी हुई आकाशवाणी में कहा कि आज बुधवार है और बुधवार के दिन घर से विदा नहीं किया जा सकता लेकिन तूने अपने घमंड के कारण किसी की नहीं सुनी यह उसी का फल है राजा परेशान हो गया
उसने भगवान से माफी मांगते हुए कहा हे भगवान मुझे क्षमा करें मेरी गलती हो गई आगे से मैं ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा भगवान को दया आ गई और उसने उसको क्षमा कर दिया उसके बाद राजा और उसकी पत्नी खुशी-खुशी अपने घर पहुंच गए और राजा ने अपनी पत्नी के साथ बुधवार के दिन व्रत करने की ठानी और दोनों बुद्धदेव की पूजा करते और उनका व्रत रखने लग गए |
गणेश जी का व्रत कौन-कौन से दिन रखा जाता है?
गणेश जी व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है क्योकि इस दिन भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुवा था | इस दिन को गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है | इस के साथ-साथ आप बुधवार को भी गणेश जी का व्रत रख सकते है |
बुधवार का व्रत कब से सुरु करना चाहिय ?
बुधवार का व्रत को किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के बुधवार से सुरु कर सकते है लेकिन यद् रखे की कृष्ण पक्ष से इस व्रत को सुरु नहीं किया जाता है |