Bhagwat Geeta in Hindi : नमस्कार दोस्तों हम आप के लिए इस पोस्ट में भगवत गीता का सम्पूर्ण पाठ का पीडीऍफ़ ले कर आये है | हम आप को यहाँ पर पीडीऍफ़ डाउनलोड लिंक के अलावा यहाँ पर भी पोस्ट पढ़ सकते है |
भगवत गीता को अपन एक अनूठा ग्रन्थ बोल सकते है क्योकि इस में लिखी एक-एक बात अपने आप में कुछ न कुछ बया करती है | भगवत गीता को भारत में ही नहीं बल्कि पुरे संसार में इस को पढने की इच्छा रखते है | भगवत गीता को लाखो-करोडो लोग ही जो इस लो पढ़ कर अपना मार्ग बदला है और अपने जीवन में खुशियो भरी जिन्द्गी जी रहे है |

भगवत गीता(Bhagwat Geeta) क्या है | जाने भगवत गीता के बारे में |
भगवत गीता को हिंदू धर्म का धर्म ग्रंथ कहा जाता है | क्योंकि इसमें सभी ग्रंथी समाए हुए हैं अथार्त सभी ग्रंथों का निचोड़ इसमें लिखा हुआ है यह अपन कह सकते हैं | श्री भगवत गीता के अंदर कुल मिलाकर 18 अध्याय हैं और 700 श्लोक लिखे हुए हैं | वेदों का भी इसमें संक्षिप्त में वर्णन किया गया है तथा उपनिषदों का भी सर इसमें है | भगवत गीता को पहले राजा-महाराजा भी पढ़ कर अपने राज्य को चलते थे | इसे मानव जीवन का कानून (सविधान) बोल सकते है |
महाभारत का युद्ध हरियाणा के कुरुक्षेत्र नामक स्थान पर होना तय हुआ तब अर्जुन ने युद्ध करने के लिए मना कर दिया था | तब भगवान श्री कृष्ण जी ने उनको सच्चे कर्म और ज्ञान के के बारे में अवगत कराया भगवान श्री कृष्ण जी ने जो उपदेश अर्जुन को दिए उन्हीं को इसमें लिखा गया है | गीता में जो चीज़ लिखी गई है उनको पढ़कर वैज्ञानिक भी हैरान है | और लाखों-करोड़ों लोगों ने भगवत गीता में लिखें बातों को पढ़कर अपना जीवन बदला है | भगवत गीता में राजनीति की भी कुछ बातें लिखी गई है | भगवत गीता एक बहुत ही अच्छा ग्रंथ है इसको हमें पढ़ना चाहिए |
भगवत गीता की जानकारी | Bhagwat Geeta Path file Details
Name of the PDF File | Bhagwat Geeta (भगवत गीता पाठ) |
PDF File Size | 48 MB |
Categories | Religious |
Source | PDFHIND.COM |
Uploaded on | 26-12-2021 |
PDF Language | HINDI |
भगवत गीता को पढने के फायेदे | Benifit of Reading Bhagwat Geeta
- भगवत गीता को पढने से हमारा मन शांत बना रहता है |
- भगवत गीता को पढने से हमारे मन की नकारात्मक सोच भी धीरे धीरे कम हो जाती है |
- भगवत गीता को पढने से बुधि, ज्ञान, तेज बढ़ता है |
- भगवत गीता हमें सचाई बुराई का भी ज्ञान करवाती है |
- सांसारिक जीवन में जीवन यापन के सही तरीके सिखाने में सहायक है |
भगवत गीता पाठ डाउनलोड लिंक | Bhagwat Geeta Path in hindi pfd
गीता में भक्ति, ज्ञान एवं कर्म पर चलने का संदेश प्राप्त होता है | इस ग्रन्थ में यम-नियम एवं धर्म कर्म का ज्ञान प्राप्त होता है | भगवत गीता के अनुसार संसार नश्वर है एवं ईश्वर एक है | एक ईश्वर की शिक्षा हमें गीता से ही प्राप्त होती है | यहाँ हम आपके लिए गीता के कुछ पाठ पढने के लिए भी उपलब्ध करवा रहें है | सम्पूर्ण Bhagwat Geeta in Hindi PDF फाइल को आप इस post के अंत में दिए गए डाउनलोड बटन के माध्यम से डाउनलोड कर सकते है |
श्लोक 1:
सञ्जय उवाच
तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् |
विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः || १ ||
भावार्थ 1:
भौतिक पदार्थों के प्रति करुणा, शोक तथा अश्रु – ये सब असली आत्मा को न जानने का लक्षण हैं | शाश्र्वत आत्मा के प्रति करुणा ही आत्म-साक्षात्कार है | इस श्लोक में मधुसूदन शब्द महत्त्वपूर्ण है | कृष्ण ने मधु नामक असुर का वध किया था और अब अर्जुन चाह रहा है कि कृष्ण अज्ञान रूपी असुर का वध करें जिसने उसे कर्तव्य से विमुख कर रखा है |
यह कोई नहीं जानता कि करुणा का प्रयोग कहाँ होना चाहिए | डूबते हुए मनुष्य के वस्त्रों के लिए करुणा मुर्खता होगी | अज्ञान-सागर में गिरे हुए मनुष्य को केवल उसके बाहरी पहनावे अर्थात् स्थूल शरीर की रक्षा करके नहीं बचाया जा सकता | जो इसे नहीं जानता और बाहरी पहनावे के लिए शोक करता है, वह शुद्र कहलाता है अर्थात् वह वृथा ही शोक करता है |
अर्जुन तो क्षत्रिय था, अतः उससे ऐसे आचरण की आशा न थी | किन्तु भगवान् कृष्ण अज्ञानी पुरुष के शोक को विनष्ट कर सकते हैं और इसी उद्देश्य से उन्होंने भगवद्गीता का उपदेश दिया | यह अध्याय हमें भौतिक शरीर तथा आत्मा के वैश्लेषिक अध्ययन द्वारा आत्म-साक्षात्कार का उपदेश देता है, जिसकी व्याख्या परम अधिकारी भगवान् कृष्ण द्वारा की गई है | यह साक्षात्कार तभी सम्भव है जब मनुष्य निष्काम भाव से कर्म करे और आत्म-बोध को प्राप्त हो |
श्लोक 2:
श्रीभगवानुवाच
कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम् |
अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन || २ ||
भावार्थ 2:
भगवान् कि उपस्थिति में अर्जुन द्वारा स्वजनों के लिए शोक करना सर्वथा अशोभनीय है, अतः कृष्ण ने कुतः शब्द से अपना आश्चर्य व्यक्त किया है | आर्य जैसी सभ्य जाति के किसी व्यक्ति से ऐसी मलिनता की उम्मीद नहीं की जाती | आर्य शब्द उन व्यक्तियों पर लागू होता है जो जीवन के मूल्य को जानते हैं और जिनकी सभ्यताआत्म-साक्षात्कार पर निर्भर करती है |
देहात्मबुद्धि से प्रेरित मनुष्यों को यह ज्ञान नहीं रहता कि जीवन का उद्देश्य परम सत्य, विष्णु या भगवान् का साक्षात्कार है | वे तो भौतिक जगत के बाह्य स्वरूप से मोहित हो जाते हैं, अतः वे यह नहीं समझ पाते कि मुक्ति क्या है | जिन पुरुषों को भौतिक बन्धन से मुक्ति का कोई ज्ञान नहीं होता वे अनार्य कहलाते हैं |
यद्यपि अर्जुन क्षत्रिय था, किन्तु युद्ध से विचलित होकर वह अपने कर्तव्य से च्युत हो रहा था उसकी यह कायरता अनार्यों के लिए ही शोभा देने वाली हो सकती है | कर्तव्य-पथ से इस प्रकार का विचलन न तो आध्यात्मिक जीवन की प्रगति करने में सहायक बनता है न ही इससे संसार में ख्याति प्राप्त की जा सकती है | भगवान् कृष्ण ने अर्जुन द्वारा अपने स्वजनों पर इस प्रकार की करुणा का अनुमोदन नहीं किया |
सम्पूर्ण Bhagwat Geeta in Hindi PDF आपको यहाँ निचे मिलेगी |