Bajrang Baan Path hindi PDF Instant Download | बजरंग बाण पाठ पीडीऍफ़ डाउनलोड

Bajrang Baan pdf download : Bajrang Baan is the prayer of Shri Bajarang Bali Hanuman ji. It should be started on Tuesday only. Some people start the Bajrang Baan path on Saturday also. But according to Our Texts, it should be started on Tuesday only. Bajrang Baan is useful in Shani Dasha and any type of fear.

It removes all types of Negative energy from prayer’s mind and blesses him with confidence. Bajrang Baan is a very effective mantra of Shri Hanuman Ji. If someone chants the Bajrang Baan path regularly, he keeps all types of problems away. So it is very useful chanting of Shri hanuman Ji.

Here we provide you the pdf file of bajrang baan with instant download link. You can read and download it on your mobile.

बजरंग बाण मुख्यत: बजरंग बलि की प्रार्थना है | यह पाठ संस्कृत भाषा में है एवं इसका पाठन भी संस्कृत में ही किया जाता है | शास्त्रों के अनुसार बजरंग बाण पाठ की शुरुआत हमेंशा मंगलवार को ही करनी चाहिए | कुच्छ भक्त शनिवार को भी इस पाठ का शुभारम्भ करते है | यह हमें शनि दशा, रोग, दुःख एवं पीड़ाओं से मुक्ति दिलाने वाला हनुमान जी का पाठ है |

अगर कोई व्यक्ति इस पाठ का नियमित जाप करता है तो उसके मष्तिष्क से नकारात्मक उर्जा निकल जाती है एवं उसमे सकारात्मक उर्जा का जन्म होता है | इसका पाठ करने वाले व्यक्ति दुखों एवं पीड़ाओं से बचे रहते है | अगर आप भी किसी प्रकार की समस्याओं से घिरे हुए है एवं कोई रास्ता नहीं मिल रहा है तो हमारा मानना है कि आपको इसका पाठ शुरू कर देना चाहिए |

यहाँ हमने बजरंग बाण पाठ को पीडीऍफ़ में उपलब्ध करवाया है | आप इसे डाउनलोड करके अपने मोबाइल में रख सकते है एवं समय मिलने पर इस पाठ का जाप कर सकते है | बजरंग बाण पाठ पीडीऍफ़ में डाउनलोड करने के लिए हमने निचे इसका istant download लिंक दिया है ताकि आपको ज्यादा समय न लगे |

PDF Details of Bajrang Baan | बजरंग बाण पीडीऍफ़ का विवरण

Title of PDFBajrang Baan Path hindi PDF
Total Size0.043MB
LanguageHindi
Department / Sourcepdfhind
Official Sitepdfhind.com
PDF CategoryReligious Books
Total Pages03

Bajrang Baan PDF file Instant Download from Here

Bajrang-Baan

BAJRANG BAAN PATH LYRICS IN HINDI DOWNLOAD AT THE BOTTOM OF THIS POST

॥ दोहा ॥

निश्चय प्रेम प्रतीति ते,बिनय करै सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करै हनुमान॥

bajrang baan path doha

॥ चौपाई ॥
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारे लात गई सुर लोका॥

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा॥
बाग उजारी सिन्धु महं बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा॥

अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुर पुर महं भई॥

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहुं उर अन्तर्यामी॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दु:ख हरहुं निपाता॥

जय गिरिधर जय जय सुख सागर। सुर समूह समरथ भटनागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले। बैरिहिं मारू बज्र की कीले॥

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो॥
ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥
सत्य होउ हरि शपथ पायके। रामदूत धरु मारु धाय के॥

जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दु:ख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥

वन उपवन मग गिरि गृह माहीं। तुमरे बल हम डरपत नाहीं॥
पाय परौं कर जोरि मनावों। यह अवसर अब केहि गोहरावों॥

जय अंजनि कुमार बलवन्ता। शंकर सुवन धीर हनुमन्ता॥
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल काल मारीमर॥
इन्हें मारु तोहि शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥

जनकसुता हरि दास कहावो। ताकी शपथ विलम्ब न लावो॥
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा॥

चरण शरण करि जोरि मनावों। यहि अवसर अब केहि गोहरावों॥
उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई॥

ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥
ॐ हं हं हांक देत कपि चञ्चल। ॐ सं सं सहम पराने खल दल॥

अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो॥
यहि बजरंग बाण जेहि मारो। ताहि कहो फिर कौन उबारो॥

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की॥
यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे॥

धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहे कलेशा॥

Bajrang Baan choupai pdf

॥ दोहा ॥

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै,सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करै हनुमान॥

|| इति श्री बजरंग बाण समाप्त ||

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