Surya Ashtothram Lyrics in Sanskrit pdf 2022 | सूर्य अष्टोतरम लिरिक्स पीडीऍफ़ में पढ़ें और डाउनलोड करें

Contents

Surya Ashtothram Lyrics in Sanskrit pdf 2022 | सूर्य अष्टोतरम :- दोस्तों आप भी अगर सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहते है तो आप को भी इन अष्टोतरम का पाठ करना चाहिय दोस्तों हम ने यहाँ पर आप के लिए सूर्य अष्टोतरम का पीडीऍफ़ फाइल डाउनलोड करने का लिंक दिया है आप आसानी से पीडीऍफ़ फाइल डाउनलोड कर सकते है |

सूर्य देव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावशाली मंत्र है यह अष्टोतरम | Surya Ashtothram स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करने से सूर्यदेव की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। सूर्य स्तोत्र को सूर्य मंगल स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है। यह सूर्य देव को समर्पित एक बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र है। दोस्तों हम आप को सूर्य अष्टोतरम के साथ साथ सूर्य देव के १०८ नामो के बारे में भी बतायेगे |

और पढ़े :- लिंगाष्टकम स्तोत्रम पूरा पढ़े और देखे लाभ

और पढ़े :- भगवान शनि मंत्र लिरिक्स पड़े और डाउनलोड करे

यदि आप प्रतिदिन (हर रोज) इसका पाठ कोई कारण वंस नहीं कर सकते है तो आप रविवार के दिन भी इसका पाठ कर सकते हैं। रविवार का दिन भगवान सूर्य देव को सर्मपित है | सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति के परिवार में खुशी का माहौल बना रहता है रुके हुवे काम बनने लगते है आदि चीजो में भी वृद्धि होती है।

सूर्य अष्टोतरम
सूर्य अष्टोतरम

सूर्य अष्टोतरम लिरिक्स फाइल की जानकारी | Surya Ashtothram PDF file Details

Name of the PDF FileSurya Ashtothram (सूर्य अष्टोतरम)
PDF File Size4.02 MB
CategoriesReligious
BeneficiaryFor All People
SourcePDFHIND.COM
ModeOnline/Offline
Uploaded on20-03-2022
PDF LanguageHINDI
Number of Pages5
सूर्य अष्टोतरम

हमने अपने प्रिय मित्रो आप के लिए सूर्य स्तोत्र पीडीऍफ़ फाइल का डाउनलोड लिंक पोस्ट के अंत में दिया है आप वहां से इस पीडीऍफ़ फाइल को डाउनलोड कर सकते है | आप इस पीडीऍफ़ के माध्यम से सूर्य स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं तो आप को भी सूर्य देव का आशीर्वाद और उनकी आसिम कृपया प्राप्त कर सकते हैं।

सूर्य देव के १०८ नाम | 108 Names of Surya Dev

ओं अरुणाय नमः ।
ओं शरण्याय नमः ।
ओं करुणारससिन्धवे नमः ।
ओं असमानबलाय नमः ।
ओं आर्तरक्षकाय नमः ।
ओं आदित्याय नमः ।
ओं आदिभूताय नमः ।
ओं अखिलागमवेदिने नमः ।
ओं अच्युताय नमः । 9
ओं अखिलज्ञाय नमः ।
ओं अनन्ताय नमः ।
ओं इनाय नमः ।
ओं विश्वरूपाय नमः ।
ओं इज्याय नमः ।
ओं इन्द्राय नमः ।
ओं भानवे नमः ।
ओं इन्दिरामन्दिराप्ताय नमः ।
ओं वन्दनीयाय नमः । 18
ओं ईशाय नमः ।
ओं सुप्रसन्नाय नमः ।
ओं सुशीलाय नमः ।
ओं सुवर्चसे नमः ।
ओं वसुप्रदाय नमः ।
ओं वसवे नमः ।
ओं वासुदेवाय नमः ।
ओं उज्ज्वलाय नमः ।
ओं उग्ररूपाय नमः । 27
ओं ऊर्ध्वगाय नमः ।
ओं विवस्वते नमः ।
ओं उद्यत्किरणजालाय नमः ।
ओं हृषीकेशाय नमः ।
ओं ऊर्जस्वलाय नमः ।
ओं वीराय नमः ।
ओं निर्जराय नमः ।
ओं जयाय नमः ।
ओं ऊरुद्वयाभावरूपयुक्तसारथये नमः । 36
ओं ऋषिवन्द्याय नमः ।
ओं रुग्घन्त्रे नमः ।
ओं ऋक्षचक्रचराय नमः ।
ओं ऋजुस्वभावचित्ताय नमः ।
ओं नित्यस्तुत्याय नमः ।
ओं ॠकारमातृकावर्णरूपाय नमः ।
ओं उज्ज्वलतेजसे नमः ।
ओं ॠक्षाधिनाथमित्राय नमः ।
ओं पुष्कराक्षाय नमः । 45
ओं लुप्तदन्ताय नमः ।
ओं शान्ताय नमः ।
ओं कान्तिदाय नमः ।
ओं घनाय नमः ।
ओं कनत्कनकभूषाय नमः ।
ओं खद्योताय नमः ।
ओं लूनिताखिलदैत्याय नमः ।
ओं सत्यानन्दस्वरूपिणे नमः ।
ओं अपवर्गप्रदाय नमः । 54
ओं आर्तशरण्याय नमः ।
ओं एकाकिने नमः ।
ओं भगवते नमः ।
ओं सृष्टिस्थित्यन्तकारिणे नमः ।
ओं गुणात्मने नमः ।
ओं घृणिभृते नमः ।
ओं बृहते नमः ।
ओं ब्रह्मणे नमः ।
ओं ऐश्वर्यदाय नमः । 63
ओं शर्वाय नमः ।
ओं हरिदश्वाय नमः ।
ओं शौरये नमः ।
ओं दशदिक्सम्प्रकाशाय नमः ।
ओं भक्तवश्याय नमः ।
ओं ओजस्कराय नमः ।
ओं जयिने नमः ।
ओं जगदानन्दहेतवे नमः ।
ओं जन्ममृत्युजराव्याधिवर्जिताय नमः । 72
ओं औच्चस्थान समारूढरथस्थाय नमः ।
ओं असुरारये नमः ।
ओं कमनीयकराय नमः ।
ओं अब्जवल्लभाय नमः ।
ओं अन्तर्बहिः प्रकाशाय नमः ।
ओं अचिन्त्याय नमः ।
ओं आत्मरूपिणे नमः ।
ओं अच्युताय नमः ।
ओं अमरेशाय नमः । 81
ओं परस्मै ज्योतिषे नमः ।
ओं अहस्कराय नमः ।
ओं रवये नमः ।
ओं हरये नमः ।
ओं परमात्मने नमः ।
ओं तरुणाय नमः ।
ओं वरेण्याय नमः ।
ओं ग्रहाणाम्पतये नमः ।
ओं भास्कराय नमः । 90
ओं आदिमध्यान्तरहिताय नमः ।
ओं सौख्यप्रदाय नमः ।
ओं सकलजगताम्पतये नमः ।
ओं सूर्याय नमः ।
ओं कवये नमः ।
ओं नारायणाय नमः ।
ओं परेशाय नमः ।
ओं तेजोरूपाय नमः ।
ओं श्रीं हिरण्यगर्भाय नमः । 99
ओं ह्रीं सम्पत्कराय नमः ।
ओं ऐं इष्टार्थदाय नमः ।
ओं अनुप्रसन्नाय नमः ।
ओं श्रीमते नमः ।
ओं श्रेयसे नमः ।
ओं भक्तकोटिसौख्यप्रदायिने नमः ।
ओं निखिलागमवेद्याय नमः ।
ओं नित्यानन्दाय नमः ।
ओं श्री सूर्य नारायणाय नमः । 108

सूर्य अष्टोतरम
सूर्य अष्टोतरम

सूर्य अष्टोतरम शतनामावली स्तोत्रम् | Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram

सूर्योsर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि: ।
गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर: ।।1।।
पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वयुश्च परायणम ।
सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधोsड़्गारक एव च ।।2।।
इन्द्रो विश्वस्वान दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर: ।
ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वरुणो यम: ।।3।।
वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पति: ।
धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाड़्गो वेदवाहन: ।।4।।
कृतं तत्र द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय: ।
कला काष्ठा मुहूर्ताश्च क्षपा यामस्तया क्षण: ।।5।।
संवत्सरकरोsश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु: ।
पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन: ।।6।।
कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद: ।
वरुण सागरोsशुश्च जीमूतो जीवनोsरिहा ।।7।।
भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत: ।
स्रष्टा संवर्तको वह्रि सर्वलोकनमस्कृत: ।।8।।
अनन्त कपिलो भानु: कामद: सर्वतो मुख: ।
जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता ।।9।।
मन: सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक: ।
धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोsअदिते: सुत: ।।10।।
द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह: ।
स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम ।।11।।
देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख: ।
चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय करुणान्वित: ।।12।।
एतद वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस: ।
नामाष्टकशतकं चेदं प्रोक्तमेतत स्वयंभुवा ।।13।।

सूर्य अष्टोतरम शतनामावली स्तोत्रम्

Leave a Comment