कालरात्रि माता व्रत कथा | Kalratri Mata Vrat Katha :- नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आप के लिए नवरात्रा के अवसर पर कालरात्रि माता जी की व्रत कथा का पीडीऍफ़ फाइल ले कर आये है आप अगर पीडीऍफ़ फाइल को डाउनलोड करना चाहते है तो आप आसानी से निचे दिये गये डाउनलोड लिंक से पीडीऍफ़ फाइल को डाउनलोड कर सकते है |
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कालरात्रि माता को मां दुर्गा जी की सातवी शक्ति के रूप में जाना जाता है इसीलिए ही नवरात्रा के सातवें दिन कालरात्रि माता की पूजा की जाती है | इस दिन कालरात्रि माता की पूजा करने से आपको मनवांछित फल मिलता है साथ ही साथ आपको माता का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है | कालरात्रि माता को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे कि महाकाली, काली, माता भद्रकाली, चामुंडा, चंडी, दुर्गा और कई रुपो के रूप में जाना जाता है | वैसे तो काली माता शत्रुओं का नाश करने वाली कहा जाता है यह अपने भक्तों का बहुत ही मेहरबान होती हैं कहा जाता है कि माता काली को गुस्सा आने पर बहुत ही बुरा प्रभाव देखने को मिलता है
मां काली को दुष्टों का नाश करने वाली कहा जाता है लेकिन माता काली की भक्ति शुभ फल प्राप्त होता है भागती से अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है इसीलिए माता काली के भगत हमेशा सुखद और प्रशन्न दिखाई देते हैं मां काली अपने भक्तों की राक्षस, भूत प्रेत, काली शक्ति आदि से रक्षा करती है

कालरात्रि माता व्रत कथा पीडीऍफ़ फाइल की जानकारी | Kalratri Mata Vrat Katha file Details
Name of the PDF File | Kalratri Mata Vrat Katha |
PDF File Size | 2.4 MB |
Categories | Religious |
Source | PDFHIND.COM |
Uploaded on | 8-4-2022 |
PDF Language | HINDI & SANSKRIT |
नवरात्रा के अवसर पर कालरात्रि माता की पूजा करने से मिलता है मनोवांछित फल
नवरात्रि के अवसर पर नवरात्र सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा करने का विधान है इस दिन मां काली की पूजा-अर्चना बड़े ही धूमधाम से की जाती है कहा जाता है कि मां काली की पूजा अर्चना और उनकी भक्ति करने से पापों से तो मुक्ति मिलती ही है साथ ही साथ दुश्मनों से भी छुटकारा मिलता है अपने काम में मन लगता है और सभी काम सिद्ध होने लगते हैं मां काली को प्रसन्न करना बहुत ही आसान है तो आप भी इस नवरात्र के अवसर पर सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा करना ना भूलें |
कालरात्रि माता व्रत कथा | Kalratri Mata Vrat Katha
पौराणिक कथा के अनुसार रक्तबीज नाम का एक राक्षस हुआ करता था जो कि देवता पर बहुत अत्याचार करता था | रक्तबीज के पास है बहुत सी शक्तियां थी जिससे उसको मारना असंभव था | उसको एक वरदान मिला हुआ था कि अगर रक्तबीज राक्षस का कोई भी खून अगर धरती पर गिरता है तो उसके बदले वहां पर उसी के आकार का राक्षस पैदा हो जाता था | इसीलिए उसको मारना बहुत कठिन था |
देवताओं इस बात से परेशान होकर महादेव के पास गए | शिव ने उनको पूछा कि आपके आने का क्या कारण है तो उन्होंने बताया कि हम रक्तबीज के अत्याचारों से परेशान हो गए हैं यह सुनकर भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि हे देवी तुम रक्तबीज राक्षस से मुक्त कराओ | मां पार्वती ने यह बात सुनकर बहुत गुस्सा आया और उन्होंने रक्तबीज राक्षस से देवताओं को मुक्त कराने के लिए सोचने लगे |
माता ने अपने शक्ति से कालरात्रि उत्पन्न हुई जो कि राक्षसों के खून को पीने और उनका वध करने में माहिर थी | माता ने रक्तबीज राक्षस का वध किया तो कालरात्रि ने रक्तबीज राक्षस का सारा खून पी लिया जिससे उनकी जीभ पूरी तरह लाल हो गई | मां कालिका असुरों का गला काटते हुए गले में राक्षसों की मुंडी की माला पहन ली | इसी तरह रक्तबीज को मार गिराया और मां दुर्गा का यह स्वरूप कालरात्रि कहलाया |
वैसे तो कालरात्रि शब्द दो शब्दों से मिलकर बना होता है जिसका अर्थ होता है मृत्यु जिस का तात्पर्य है की वह जो अज्ञानता को नष्ट करती है और एक शब्द में रात्रि माता को रात के अंधेरे में गहरे रंग का प्रतीक दर्शाया गया है कालरात्रि का रूप दर्शाता है कि करुणामई मां अपनी संतान की सुरक्षा के लिए असुरों का वध करने वाली होती है और अपनी संतान की रक्षा करती है |

कालरात्रि माता आरती संगह | Kalratri Mata Aarti
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
Kalratri Mata Aarti
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥