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Kamda Ekadashi Vrat Katha :- कामदा एकादशी व्रत 2022 आज ही के दिन है | आज 12 अप्रैल 2022 को Kamda Ekadashi है | इस दिन अर्थात चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है | आज इस लेख में हम आपके लिए कामदा एकादशी की व्रत कथा पीडीऍफ़ में लेकर आयें है | आप इसे यहाँ से पढ़ भी सकते है एवं सीधे अपने मोबाइल में पीडीऍफ़ फॉर्मेट में डाउनलोड भी कर सकते है |
नमस्कार दोस्तों आज कामदा एकादशी के बारे में बतायेगे तो दोस्तों कामदा एकादशी का व्रत हिन्दू कलेंडर के नववर्ष के पहली एकादशी को किया जाता है और इस साल 2022 में यह व्रत 12 अप्रैल को मंगवार के दिन किया जाता है इस दिन भगवान विष्कोणु जी को सपर्पित है | कहाँ जाता है की कामदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के बिगड़े काम बनाने लगते है और साथ-ही-साथ उनके जीवन में आने वाले कष्टों से भी छुटकारा मिलता है |

महान विद्वानों और पंडितो का कहना है की इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को उतना लाभ मिलता है जितना की पुण्य, कन्यादान, स्वर्ण दान आदि प्रकार के दान-दक्षिणा से मिलता है उतना लाभ हमें इस व्रत को रखने से मिलता है | तो दोस्तों आप भी इस व्रत को रख के पुण्य कम सकते है | इस भाग-दोड भरी दुनिया में लोग पूजा-पाठ को समय नहीं दे पाते है तो उनको आप इस व्रत को कर के पुण्य कमा सकते है |
कामदा एकादशी व्रत कथा पीडीऍफ़ फाइल की जानकारी | Kamda Ekadashi Vrat Katha file Details
Name of the PDF File | Kamda Ekadashi Vrat Katha |
PDF File Size | 3.4 MB |
Categories | Religious |
Source | PDFHIND.COM |
Uploaded on | 12-4-2022 |
PDF Language | HINDI & SANSKRIT |
कामदा एकादशी व्रत पूजा शुभ मुहूर्त
- एकादशी व्रत आरंभ तिथि 12 अप्रैल (चैत्र माह एकादशी) मंगलवार सुबह 04 :30 से शुरू
- एकादशी व्रत खोलने की तिथि 13 अप्रैल (चैत्र माह बारस ) बुधवार सुबह 05 :02 तक
- एकादशी पूजा सुभ मुहूर्त 12 अप्रैल को दोपहर 11 बज कर 57 मिनिट से लेकर 12 बज कर 48 मिनिट तक
कामदा एकादशी व्रत करने के फायेदे
- कामदा एकादशी का व्रत करने से हमरे बिगड़े काम बनने लगते है
- कामदा एकादशी के व्रत को करने से हमरे जीवन में कष्टों से छुटकारा मिलता है
- कामदा एकादशी व्रत को करने से जीवन में खुसिया लोट के आती है
- इस दिन व्रत को करने सेकई प्रकार के पुणे करने के बराबर लाभ मिलता है
- कामदा एकादशी के व्रत को करने से किये गये बुरे कामो का पश्तावा करने का मोका मिलता है
- इस व्रत को करने से अधूरी मनोकामनाए पूरी होती है
- इस व्रत को करने से भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद मिलाता है
- इस वर्त को निर्जला करने से और भी अधिक लाभ मिलता है
कामदा एकादशी का व्रत कैसे करे | कामदा एकादशी व्रत को करने की विधि
- कामदा एकादशी व्रत को करने के लिए आप को सुह जल्दी उठ कर अपना नित्य क्रिया कर लेना है
- सुबह आप मुहूर्त के हिसाब से आगे के काम को निपटाना है
- इस के बाद आप नाहा-धो कर सफेद कपडे पहने
- दोस्तों इस व्रत को करने से एक दिन पहले से ही अपने वव्हार को बदल लेना होता है जैसे की आप का व्यव्हार थोडा गुसे वाला है तो आप को एक दिन पहले ही सभी के साथ सयम से व्यवहार करना होता है
- व्रत वाले दिन आप को ब्रह्राम्चारी के नियमो का पालन करना होता है
- यह सब आप को एक दिन पहले से ही करने होते है
- उस के बाद आप को मंदिर या पूजा के स्थान को गंगा जल से सुध करना होता है
- उस के बाद भगवान श्री विष्णु जी की प्रतिमा को स्थापित करे
- उस के बाद आप प्रशाद और पूजा के सामान की तयारी करे
- पूजा सामग्री में आप अगरबत्ती, धूप, रुई या बत्ती, दीपक, घी, फूलों का हार, तिल, दूध, पंचामृत, कपूर, लड्डू आदि
- उस के बाद आप भगवान विष्णु जी के मंत्रो के जाप करे
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। ॐ विष्णवे नम: ॐ हूं विष्णवे नम: ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
- मंत्रो का जाप करने के बाद आप को कामदा एकादशी के व्रत की कथा को पढना है औरो को भी सुनाये
- पाठ को करने के बाप आप सबसे पहले भगवान् को प्रशाद वितरण करे और उस के बाद ब्राहमण को भी प्रशाद कराये
- इसी प्रकार से आप को पूरी विधि-विधान से इस व्रत को करना है
कामदा एकादशी व्रत कथा | Kamda Ekadashi Vrat Katha

बहुत समय पहले की बात है एक बार देव नगर में एक राजा हुवा करता था राजा का नाम रावल सिंह था | देव नगर बहुत ही सुन्दर नगर के नाम से प्रशिद था और यहाँ के लोग भी काफी सुन्दर थे | इस नगर में बहुत सी किन्नर, गन्धर्व और सुंदर कन्या और अप्सराय रहती थी | इस नगर के सभी लोग अपना जीवन अच्छे से प्रेममय जीवन जीते थे |
इसी नागर में एक दम्पति अपनी पत्नी के साथ आनंदमय जीवन जीते थे और इन दोनों के बिच में काफी प्रेम था इन का नाम देव और निका था | इन दोनों के बिच में बहुत ही अधिक प्रेम होने के कारण ये दोनों एक दुसरे की बिना ज्यादा समय तक अलग नहीं रह सकते थे |
कुछ समय बाद राजा के दरबार में एक दरबार लगा जिस में गन्धर्व देव को भी दरबार के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बुलाया गया | देव ने जब अपना कार्यक्रम को प्रारम्भ किया तो उस को अपनी पत्नी निका की याद आ गई और इस कारण गन्धर्व देव के सुर बिगड़ गए और यह सब देख कर राजा रावल सिंह को बहुत गुस्सा आया और वह राजा ने गन्धर्व देव को गुसे ही गुसे में राक्षस होने का श्राप दे दिया |
यह सुन कर गन्धर्व देव बहुत ही दुखी हुवा और रोने लगा | जब यह बात गन्धर्व देव की पत्नी निका को पाता चला तो वह भी रोने लगी और विलाप करने लगी | राजा रावल के मिले श्राप के कारण गन्धर्व देव काफी सालो तक राक्षस जीवन जीता रहा और इधर-उधर भटकता रहा | गन्धर्व देव की पत्नी भी उसी के अनुकरण करती रही और गन्धर्व देव को मिले श्राप से मुक्त करने के उपाय खोजने लगी |
एक दिन गन्धर्व देव की पत्नी एक महान ऋषि से मिली जिस में गन्धर्व देव की पत्नी को कामदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी पत्नी ने भी ऋषि के कहे के अनुसार को पूरी विधि-विधान से एकादशी के व्रत को किया और पुरे नियम काएदो का भी पालन किया | देक्खते ही देखते कुछ ही दिनों में गन्धर्व देवक को राक्षस जीवन से मुक्ति मिल गई और वह एक सुन्दर गायक के रूप ;में फिर से ख़ुशी-ख़ुशी अपनी पत्नी के साथ जीवन जीने लगा |
निष्कर्ष :- मान्यतया है की अगर कोई भी इस व्रत को पूरी विधि विधान से करता है उस के जीवन में हमेसा जीवन सुखद बना रहता है और मरने के बाद भी मोक्ष की प्राप्ति होती है |