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Ahoi Ashtami Vrat Katha pdf file is available here for download. You can direct download the Ahoi Ashtami vrat Katha pdf file in Hindi from the link given below.
अहोई अष्टमी की व्रत कथा आज 17-10-2022 को अहोई माता का व्रत रखा जाता है | यह माताओं द्वारा अपने संतानों की लम्बी उम्र के लिए रखा जाने वाला व्रत है | इस दिन का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है | इस दिन व्रत रखने से संतान की उम्र, यश, सुख एवं समृद्धि में वृद्धि होती है |
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार है कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी की पूजा की जाती है | इस दिन साही माता की पूजा की जाती है | उत्तरी भारत में अहोई अष्टमी की ज्यादा मान्यता है |

आज के इस लेख में हम आपको अहोई अष्टमी व्रत कथा की पीडीऍफ़, पूजा विधि एवं लाभ के बारे में बताएँगे |
PDF FILE NAME | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF |
SIZE | 563 |
TOTAL PAGE | 05 |
SOURCE | HTTPS://PDFHIND.COM |
CATEGORY | VRAT KATHA PDF’S |
DOWNLOAD LINK | AVAILABLE |
क्यों मनाया जाता है अहोई अष्टमी व्रत कथा | Ahoi Ashtami Vrat katha pdf
अहोई अष्टमी व्रत उत्तरी भारत में अधिकतर मनाया जाता है | इस दिन संतान वाली माताएं अपनी संतान की सुख-समृद्धि, उम्र, यश एवं दीर्घायु जीवन के लिए इस व्रत कथा का पाठ किया जाता है | निचे हमने सम्पूर्ण Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF में उपलब्ध करवाई है |
यह व्रत माँ के प्यार को दर्शाता है कि माता अपनी संतान से कितना प्यार करती है | इस दिन अहोई माता एवं साहू माता की पूजा की जाती है | इसे संतान समृद्धि एवं स्वस्थ जीवन के लिए किया जाता है |
Ahoi Ashtami Vrat Katha Shubh Muhurt
- ब्रह्म मुहूर्त- 04:43 AM से 05:33 AM
- अभिजित मुहूर्त- 11:43 AM से 12:29 PM
- विजय मुहूर्त- 02:01 PM से 02:46 PM
- गोधूलि मुहूर्त- 05:38 PM से 06:02 PM
- अमृत काल- 02:31 AM, अक्टूबर 18 से 04:19 AM
Ahoi Ashtami Vrat Katha pdf | अहोई अष्टमी व्रत कथा हिंदी में
पूजा के दौरान साहूकार की कथा को पढ़ना या सुनना अनिवार्य बताया गया है. इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक साहूकार के सात बेटे और सात बहुएं थीं. इस साहूकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी. दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं और बेटी मिट्टी लाने जंगल गईं. बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने सात बेटों से साथ रहती थी.
मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गया. स्याहु इस पर क्रोधित होकर बोली कि तुमने मेरे बच्चे को मारा है, अब मैं तुम्हारी कोख बांध दूंगी. स्याहू की बात से डरकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभियों से बचाने की गुहार लगाने लगी और भाभियों से विनती करने लगी कि वे उसकी जगह पर अपनी कोख बंधवा लें. सातों भाभियों में से सबसे छोटी भाभी को अपनी ननद पर तरस आ गया और वो उसने स्याहु से कहा कि आप मेरी कोख बांधकर अपने क्रोध को समाप्त कर सकती हैं.
स्याहु ने उसकी कोख बांध दी. इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे हुए, वे जीवित नहीं बचे. सात दिन बाद उनकी मौत हो जाती थी. इसके बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका उपाय पूछा गया तो पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी. सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और छोटी बहू से पूछती है कि तू किस लिए मेरी इतनी सेवा कर रही है. तब छोटी बहू कहती है कि स्याहु माता ने मेरी कोख बांध दी है जिससे मेरे बच्चे नहीं बचते हैं. आप मेरी कोख खुलवा दें तो आपकी बहुत मेहरबानी होगी. सेवा से प्रसन्न सुरही छोटी बहु को स्याहु माता के पास ले जाती है. वहां जाते समय रास्ते में दोनों थक कर आराम करने लगते हैं.
अचानक साहूकार की छोटी बहू देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है. तभी छोटी बहू सांप को मार देती है. इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और अपने बच्चे को जीवित देखकर प्रसन्न होती है. इसके बाद वो छोटी बहू और सुरही को स्याहु माता के पास पहुंचा देती है. वहां जाकर छोटी बहू स्याहु माता की सेवा करती है. इससे प्रसन्न स्याहु माता, उसे सात पुत्र और सात बहुओं से समृद्ध होने का का आशीर्वाद देती हैं और घर जाकर अहोई माता का व्रत रखने के लिए कहती हैं. इसके प्रभाव से छोटी बहू का परिवार पुत्र और बहुओं से भर जाता है.
Ahoi Ashtami ki vrat katha
Ahoi Ashtami ki Aarti PDF
अहोई अष्टमी की आरती निम्नअनुसार है | इस आरती का पाठ व्रत कथा पढने से पहले करना चाहिए |
जय अहोई माता, जय अहोई माता ।
तुमको निसदिन ध्यावतहर विष्णु विधाता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमलातू ही है जगमाता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावतनारद ऋषि गाता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
माता रूप निरंजनसुख-सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावतनित मंगल पाता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव प्रकाशकजगनिधि से त्राता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
जिस घर थारो वासावाहि में गुण आता ।
कर न सके सोई कर लेमन नहीं धड़काता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
तुम बिन सुख न होवेन कोई पुत्र पाता ।
खान-पान का वैभवतुम बिन नहीं आता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
शुभ गुण सुंदर युक्ताक्षीर निधि जाता ।
रतन चतुर्दश तोकूकोई नहीं पाता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
श्री अहोई माँ की आरतीजो कोई गाता ।
उर उमंग अति उपजेपाप उतर जाता ॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता ।
अहोई अष्टमी व्रत कथा पूजा की विधि | Ahoi Ashtami Vrat katha puja vidhi
- इस दिन भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है | और यह अनिवार्य है |
- सबसे पहले दीवार पर अहोई माता की तश्वीर बनाई जाती है |
- इसके पश्चात माता की पूजा में चावल, रोली एवं दूध का प्रयोग किया जाता है |
- इसके पश्चात लौटे में जल भर कर ऊपर बताई गई कथा को सुना जाता है |
- घर में बनी पूरी एवं खीर से माता को भोग लगाया जाता है |
- अष्टमी के दिन रात में तारों को देख कर अर्ध्य देकर व्रत को खोला जाता है |
- इस दिन अपनी संतान की लम्बी उम्र, स्वास्थ्य एवं सुख समृद्धि के लिए माता अहोई अष्टमी से प्राथना की जाती है |
- ध्यान दें कथा को सुनते समय हाथ में 7 अनाज को लिया जाता है |